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बुधवार, 30 जुलाई 2014

पासपोर्ट जारी करने में देरी से बचने के उपाय

पासपोर्ट के लिए आवदेन करने के बाद महीनों चक्कर काटने का सिलसिला अब जल्द ही खत्म हो जाएगा। सरकार ने इस दिशा में कई पहल किए है। इसकी बदौलत अब पासपोर्ट जारी होने की राह में आने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए कारगर कदम उठाए जा रहे है। इसके तहत उन तमाम कारणों का पता लगाया जाएगा,जिसकी वजह से पासपोर्ट जारी करने में ज्यादा देरी होती है। हलांकि पहले की तुलना में हाल के वर्षों में पासपोर्ट जारी करने में लगने वाले समय में कमी आई है। आमलोगों को पासपोर्ट जारी करने की प्रक्रिया कई बार निम्नलिखित कारणों से लम्‍बी हो जाती है:- 1. पुलिस से सत्‍यापन रिपोर्ट निर्धारित 21 दिन से ज्‍यादा अवधि में प्राप्‍त होना 2. अपूर्ण पुलिस रिपोर्ट मिलना 3. एक वर्ष में पासपोर्ट की मांग 15 प्रतिशत की दर से बढ़ना और 4. केन्‍द्रीय पासपोर्ट सेवाओं की बढ़ती हुई मांग से निपटने के लिए केन्‍द्रीय पासपोर्ट संगठन में मानव श्रम की कमी। सरकार ने पासपोर्ट जारी करने में होने वाली देरी को कम करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। चूंकि पासपोर्ट जारी करने के लिए आवेदनकर्ता के बारे में व्‍यक्तिगत जानकारी का पुलिस सत्‍यापान काफी मायने रखता है, पासपोर्ट कार्यालय पुलिस सत्‍यापन रिपोर्ट में तेजी लाने के लिए पुलिस के साथ संपर्क बनाए रखता है। पासपोर्ट कार्यालय पासपोर्टों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए समय-समय पर सप्‍ताह के अंत में पासपोर्ट मेलों का आयोजन करता है। जरूरत पड़ने पर पासपोर्ट अदालतें भी लगाई जाती हैं। पीएसके और पासपोर्ट कार्यालयों का निरीक्षण भी समय-समय पर किया जाता है ताकि सुपुर्दगी में सुधार लाया जा सके। कर्मचारी चयन आयोग के जरिए भर्ती करके वर्तमान रिक्‍त स्‍थानों को भरने के लिए भी कदम उठाए गए हैं। सरकार ने हाल ही में योग्‍य उम्‍मीदवारों से आवेदन मंगाए हैं ताकि प्रतिनियुक्ति पर पासपोर्ट अधिकारी, उप-पासपोर्ट अधिकारी और सहायक पासपोर्ट अधिकारी के स्‍तर पर खाली पदों को भरा जा सके। सरकार ने पासपोर्ट कार्यालयों में 450 डाटा एंट्री ऑपरेटरों को लगाया है। विदेश मंत्रालय और समुद्रपारीय भारतीय मामलों के राज्‍य मंत्री जनरल (सेवानिवृत) डॉ वी. के. सिंह ने राज्‍यसभा में यह जानकारी दी।

बुधवार, 23 जुलाई 2014

साइबर क्राइम बना पुलिस के लिए सिरदर्द


इंटरनेट अब जानकारी का जरिया नहीं बल्कि गुनाहगारों का ठिकाना बनता जा रहा है। पहले लोग इंटरनेट का इस्तेमाल ईमेल, सोशल नेटवर्किंग साइट, नई-नई सूचना और जानकारी हासिल करने के लिए किया करते थे। लेकिन बदलते वक्त के साथ इंटरनेट सूचना और जानकारी के साथ साथ लोगों को कंगाल बनाने का आसान जरिया बन चुका है। इंटरनेट की दुनिया में सब कुछ संभव है। यहां जानकारी का भंडार है तो दूसरी ओर जानकारी का बेजा इस्तेमाल करने वालों की भी लंबी कतार है। इंटरनेट पर जरा सी लापरवाही आपको ठगी के ऐसी दुनिया में धकेल देगी, जहां दुनिया के किसी कोने में बैठा शातिर ठग हज़ारों किलोमीटर दूर होने के बाद भी आपकी तिजोरी पर हाथ साफ कर, आपको घर बैठे कंगाल बना सकता है। इंटरनेट के जरिए ठगी का कारोबार चलाने वाले गिरोह तकनीक और शातिर दिमाग का इस्तेमाल कर पूरी दुनिया में अपने शिकार की तलाश में लगे रहते हैं। कभी फर्जी ईमेल के जरिए तो कभी आपके मोबाइल पर लुभावने एसएमएस के जरिए आपको लुभाने ऑफर देकर अपने जाल में फांसने की कोशिश करते हैं। आपको इस तरह लुभाने की कोशिश करेंगे, मानों वो आपको करोड़पति बनाने वाले हैं। लेकिन हक़ीक़त में ऐसा कुछ भी नहीं होता है। दरअसल वह तो आपको कंगाल बनाने का चक्रव्यूह रच रहे होते हैं और आपको इसका पता तब चलता है, जब आप पूरी तरह लूट चुके होते हैं। ऐसी स्थिति में आपके पास सिवाए आंसू बहाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं होता है। शातिर लूटेरा कौन है, कहां बैठा है, हिंदुस्तान में है या अफ्रीका के किसी देश में बैठकर आपको कंगाल बना रहा है। इसके बारे में आपको कुछ भी पता नहीं होता है। काफी भागदौड़ करने के बाद भी अगर आपको कुछ पता चल भी जाता है तो भी आप कुछ करने की स्थिति में नहीं होते हैं। क्योंकि आम आदमी का वहां तक पहुंचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता है। वजह यह है कि पहले ही वह इंसान कंगाल हो चुका होता है। ऐसी स्थिति में वह ज्यादा कुछ करने की हालत में नहीं होता है। हाल के दिनों में ऐसे गुहनगारों की तादाद दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। इससे न सिर्फ आम आदमी परेशान है बल्कि ऐसे अपराधों की बढ़ती संख्या की वजह से पुलिस के लिए भी यह एक समस्या बनती जा रही है। आखिर ऐसे गुहनगारों से कैसे निपटा जाए। इंटरनेट की दुनिया में एक क्लिक के जरिए गुनाह को अंजाम देना बेहद आसान है। लेकिन यहीं आसान रास्ता इंसान को गुनाह के ऐसे चक्रव्यूह में फंसा देता है, जहां से बचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। क्योंकि साइबर क्राइम के आंकड़े बताते हैं कि अब हिंदुस्तान की साइबर पुलिस पहले से ज्यादा चौकन्नी है। हिंदुस्तान में साइबर क्राइम अब पुलिस के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बनता जा रहा है। इंटरनेट के जरिए गुनाह को अंजाम देने के मामले में 51 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। पिछले साल देश के अलग अलग हिस्सों में साइबर क्राइम के कुल 4356 मामले दर्ज किए गए। हैरत की बात यह है कि साइबर क्राइम के गुनहगार पढे-लिखे होते हैं। लेकिन दिमाग से शातिर होते हैं। साइबर क्राइम के ज्यादातर अपराधी 18 से 30 साल की उम्र के होते हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के तहत सबसे ज्यादा 681 मामले महाराष्ट्र में, 635 मामले आंध्र प्रदेश में और 513 मामले कर्नाटक में दर्ज किए गए। लेकिन चौकाने वाली बात है कि साइबर क्राइम के मामले में छोटे शहरों ने महानगरों को पीछे छोड़ दिया है। एनसीआरबी के आंकड़ों की माने तो 65 फीसदी साइबर क्राइम के मामलों का ताल्लुक छोटे शहरों से होता है। साइबर क्राइम के तहत सबसे ज्यादा मामले हैकिंग, अश्लील तस्वीर भेजना, सेक्सुयल हैरेसमेंट और आर्थिक अपराध से जुड़े होते हैं। लेकिन साइबर क्राइम का फील्ड नया होने के कारण लोगों को साइबर सुरक्षा और कानून की ज्यादा जानकारी नहीं है। हिंदुस्तान में फिलहाल 22 हज़ार साइबर सुरक्षा एक्सपर्ट है। लेकिन देश में ज़रुरत तकरीबन 77 हज़ार ऐसे एक्सपर्ट की है।

International Conference on Communication Trends and Practices in Digital Era (COMTREP-2022)

  Moderated technical session during the international conference COMTREP-2022 along with Prof. Vijayalaxmi madam and Prof. Sanjay Mohan Joh...