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रविवार, 23 जनवरी 2011

सीआरआईएस: भारतीय रेल के लिये सफल सूचना प्रणालियों का सृजन

भारत के लोगों के लाभ के लिये सूचना प्रौद्योगिकी को काम में लाने की दृष्‍टि से 1986 का वर्ष भारतीय रेल के नवीन प्रयासों के लिये काफी महत्‍वपूर्ण माना जाता है । दूरदर्शी पहल करते हुए रेल मंत्रालय ने रेल सूचना प्रणाली केन्‍द्र(क्रिस) नाम से एक स्‍वायत्‍तशासी संस्‍था का गठन किया है । क्रिस अब 24 वर्ष पुराना हो चुका है । साधारण सी शुरुआत के बाद अब यह संस्‍था देश के आईटी मानचित्र पर प्रमुख पहचान बना चुकी है। इसने भारतीय रेल को सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी प्रधानता बनाए रखने में और इस क्षेत्र में मार्गदर्शी कार्य जारी रखने में बड़ी मदद की है ।

व्‍यापक प्रभाव

भारतीय रेल में आईटी प्रणाली के जरिये जितना लेन-देन किया जाता है, उसकी संख्‍या और परिमाण से उनकी गुणवत्‍ता और क्षमताओं का आभास होता है । भारतीय रेल प्रतिदिन लगभग 11000 रेलगाड़ियों का संचालन करती है, इनमें यात्री और मालगाड़ियां दोनों शामिल हैं ।

1.प्रतिदिन लगभग दस लाख यात्री अपनी बर्थ का आरक्षण यात्री आरक्षण प्रणाली के माध्‍यम से कराते हैं । 2.अनारक्षित टिकट प्रणाली के जरिये प्रतिदिन लगभग एक करोड़ 40 लाख यात्रियों के टिकट बेचे जाते हैं । प्रतिवर्ष इनकी संख्‍या में वृद्धि हो रही है ।3.क्रिस द्वारा विकसित मालभाड़ा प्रचालन सूचना प्रणाली का निरंतर विस्‍तार और विकास हो रहा है और माल का कारोबार करने वाले ग्राहकों को मूल्‍यवर्धित सेवायें प्रदान कर रही है । इस प्रणाली के तहत जो ई-भुगतान सुविधा प्रदान की जा रही है, उसके जरिये राजस्‍व प्राप्‍त होता है । वह कुल माल भाड़े का करीब 50 प्रतिशत है। माल भाड़े से प्रतिवर्ष करीब 7 खरब रूपये का राजस्‍व प्राप्‍त होता है।4.5.भारतीय रेल के सभी 67 मंडलों में कम्‍प्‍यूटरीकृत नियंत्रण कार्यालय है जो कंट्रोल आफिस ऐप्‍लीकेशन नियंत्रण कार्यालय अनुप्रयोग के जरिये प्रत्‍येक स्‍टेशन से गुजरने वाली हर रेलगाड़ी का आवागमन पर नजर रखता है ।6.7.क्रू (चालक दल) प्रबंधन प्रणाली का उपयोग प्रतिदिन करीब 30 हजार चालक दल के सदस्‍य अपने कार्य स्‍थान पर से आने जाने के लिये करते हैं ।8.9.एकीकृत कोचिंग (सवारी डिब्‍बा) प्रबंधन प्रणाली की सहायता से 40 हजार से अधिक यात्री गाड़ियों के डिब्‍बों का प्रबंधन किया जाता है ।6.ये आई टी अनुप्रयोग यात्रियों और माल परिवहन व्‍यापार की आवश्‍यकताओं की प्रत्‍यक्ष रूप से पूर्ति के लिए काफी महत्‍वपूर्ण हैं । अभी और भी ऐसे कई अन्‍य अनुप्रयोग शुरू होने को हैं जिनका परिसंपत्‍ति प्रबंधन और कार्य क्षमता में सुधार पर ज्‍यादा जोर रहेगा ।

नवाचारी संगठनात्‍मक रूपरेखा

क्रिस भारतीय रेल के स्‍वायत्‍तशासी संगठन के रूप में काम करता है । यह अपने मानव संसाधन (कर्मचारी) रेलवे के अलावा कुशल आई टी पेशेवरों के वृहद पूल से प्राप्‍त करता है । रेलवे की आई टी परियोजनाओं की सफलता का एक कारण इसके क्रिस जैसे विशिष्‍ट संगठनों द्वारा निर्मित ज्ञान की निरंतरता है । क्रिस में डोमेन ज्ञान के विशेषज्ञों और प्रौद्योगिकीय पेशेवरों का उपयोगी संगम है जो कौशल और क्षमताओं का अनूठा सम्‍मिश्रण तैयार करता है । इस नवाचारी संगठनात्‍मक रूपरेखा का परिणाम है, उपयोगकर्ता की आवश्‍यकताओं के प्रति अनुकूल प्रतिक्रिया जो कि आई टी परियोजनाओं के सफल क्रियान्‍वयन के लिये निर्णायक होती है । एक ओर उपयोगकर्ता और दूसरी ओर साफ्टवेयर तैयार करने वाले और आईटी सेवा प्रदाता के बीच तो विशेष संबंध होता है, उसी के कारण क्रिस उपभोक्‍ताओं की बदलती और बढ़ती अपेक्षाओं और आवश्‍यकताओं को पूरा कर पाती है । चूंकि डोमेन विशेषज्ञों को क्रिस में काम करने से पहले ही रेल प्रबंधन का व्‍यापक अनुभव रहा है, क्रिस के अनुप्रयोगों में ठहराव नहीं आ पाता । इसके अतिरिक्‍त बिना इस बात की चिंता किये कि बाहरी सेवा प्रदाता कभी भी संबंधों को ताला लगा सकता है, क्रिस वृहद और महत्‍वपूर्ण आई टी प्रणालियों की आवश्‍यकतानुसार उच्‍चस्‍तरीय सेवायें प्रदान करना जारी रखता है । जहां तक संगठनात्‍मक रूपरेखा की बात है, इसके कारण प्रधान संगठन (रेलवे) और एजेंट संगठन (क्रिस) के प्रोत्‍साहन एक सीध में आ जाते हैं, और नवाचार तथा उन्‍नति के लिये पर्याप्‍त गुजांइश भी बनी रहती है ।

प्रौद्योगिकी में अग्रणी

प्रारंभिक वर्षों में यानी अस्‍सी के दशक के उत्‍तरार्द्ध और नब्‍बे के दशक के पूर्वार्ध में दो प्रमुख अनुप्रयोगों पीआरएस और एफओआईएस पर जोर दिया गया था । इस उत्‍तरदायित्‍व के कारण इस संगठन में जबर्दस्‍त विश्‍वास आया और इन परियोजनाओं (जैसे कन्‍सर्ट सीओएनसीईआरटी के भीतर विकसित नये आरक्षण तर्क) की सफलता ने क्रिस के बारे में धारणाओं को ही बदल कर रख दिया । जैसे-जैसे आईटी के प्रभावी उपयोग की अपार संभावनाओं का खुलासा होता गया, 21वीं सदी के प्रारंभ से ही रेल उपभोक्‍ताओं की मांगों और अपेक्षाओं में उल्‍लेखनीय वृद्धि होने लगी । अकस्‍मात ही क्रिस के लिये अनुमोदित और निर्धारित परियोजनाओं पर अमल किया जाने लगा । इस समय तक क्रिस ने अपने पूर्व कल्‍पित आकार से भी आगे जाते हुए विशाल आकार ग्रहण कर लिया था । अत्‍याधुनिक आईटी समाधानों की खोजकर उनका विकास किया जाने लगा । मार्गदर्शी परियोजनाओं की सफलता से उन्‍हें देशभर में लागू करने के लिये होड़ जैसी शुरू हो गई । त्‍वरित क्रियान्‍वयन के लिये क्रिस ने इस शांत क्रांति में भाग लेने के लिये और संसाधन तथा डोमेन ज्ञान विशेषज्ञों की सेवायें लीं ।


केन्‍द्रीय भूमिका

रेल मंत्रालय के दूरदर्शी दृष्‍टिकोण के कारण एक ऐसी सुखद स्‍थिति बन चुकी है , जिसमें रेल परिचालन की सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण गतिविधियों का प्रबंधन आई टी जनित प्रणाली के जरिये होने लगा है। परन्‍तु, आई टी एक गतिशील क्षेत्र है । जैसे-जैसे और अधिक बुद्धिमान यंत्र समाज के सभी वर्गों में अपनी पैठ बनाते जा रहे हैं । ग्राहकों की अधिक सुविधाओं की अपेक्षायें बढ़ती जा रही हें । इसके लिये एक गतिशील और ऊर्जावान आईटी संगठन की आवश्‍यकता होती है जो सदैव सबसे आगे रहे और आधुनिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग ग्राहकों की समस्‍याओं के समाधान में प्रभावी ढंग से कर सके । क्रिस इस भूमिका को निभाने के लिये पूरी तरह से तैयार है और रेल की कार्यप्रणाली में और अधिक बदलाव के लिये भी तैयार है । सूचना संकलन और प्राथमिक विश्‍लेषण कंप्‍यूटर की सहायता से होने लगा है। निर्णय में सहायक तत्‍व भी मुहैया कराए जा रहे हैं । रेलवे के लिये आज सबसे बड़ी चुनौती, ऐसी प्रणालियां विकसित करने की है जो महत्‍वपूर्ण प्रक्रियाओं में पूर्णरूपेण बदलाव ला सकें । संपोषणीय आई टी विकास की दीर्घकालीन दृष्‍टि विकसित करने के लिये भारतीय रेल ओर क्रिस के पास यही उपयुक्‍त समय है क्‍योंकि रेल के कारोबार में आई टी का अनुप्रयोग बहुत महत्‍वपूर्ण हो गया है और वह उसके बारे में काफी गंभीर है । आज, क्रिस आईटी जनित संगठनात्‍मक परिवर्तन के साथ-साथ भारतीय रेल के ग्राहकों को त्‍वरित और अधिक सुविधापूर्ण सेवायें प्रदान करने हेतु आईटी के उपयोग की दहलीज पर खड़ा है । इन लक्ष्‍यों ने क्रिस को भारतीय रेल के लिये उच्‍च कोटि की सूचना प्रणाली के सृजन और प्रबंधन के प्रयासों को मूर्त रूप देने के अपने इरादों को और मजबूती प्रदान की है ।

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