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शनिवार, 1 मार्च 2014
अंगुली पर पक्की रोशनाई और गौरव का अहसास
पक्की रोशनाई मतदाता की स्याही के रूप में जानी जाती है। चुनाव के दौरान इसे मतदाता की अंगुली पर लगाया जाता है, ताकि धोखाधड़ी, अनेक बार मतदान करने तथा गलत व्यवहारों को रोका जा सके। यह कोई सामान्य स्याही नहीं है। एक बार अंगुली पर लगाने के बाद कुछ महीनों तक यह बनी रहती है।
इस विशेष पक्की रोशनाई को बनाने का श्रेय कर्नाटक सरकार के प्रतिष्ठान मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड (एमपीवीएल) को जाता है। यह कंपनी भारत तथा अनेक विदेशी देशों को रोशनाई की सप्लाई करती है।
भारत में आम चुनाव कराना तथा चुनाव की प्रक्रिया पूरी करना सरकार तथा निर्वाचन आयोग के लिए बड़ी चुनौती रही है। चुनाव संपन्न कराने तथा जाली मतदान को समाप्त करने के लिए निर्वाचन आयोग ने अंगुली पर पक्की रोशनाई लगाने का उपाय किया। यह रोशनाई मतदाता के बायं हाथ की अंगुली के नाखून पर लगाई जाती है। यह रोशनाई रसायन, डिटर्जेन्ट या तेल से मिटाई नहीं जा सकती और कुछ महीनों तक बनी रहती है। मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड (एमपीवीएल) ने भारत निर्वाचन आयोग, राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला तथा राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम के सहयोग से इस पक्की रोशनाई के उत्पादन तथा गुणवत्ता संपन्न सप्लाई में विशेषज्ञता प्राप्त की। भारत में इस तरह की रोशनाई की सप्लाई करने वाली यह एकमात्र अधिकृत आपूर्तिकर्ता है। कंपनी को 1962 से एनआरडीसी, नई दिल्ली द्वारा विशेष लाइसेंस दिया गया है।
मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड (एमपीवीएल) की स्थापना 1937 में मैसूर के तत्कालीन महाराजा स्वर्गीय नलवाड़ी कृष्णराज ओडियार द्वारा की गई। तब इसका नाम मैसूर लैक एंड पेंट वर्कस लिमिटेड था। 1989 में इसका फिर से नामकरण मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड (एमपीवीएल) किया गया। 1962 में निर्वाचन आयोग ने केन्द्रीय विधि मंत्रालय, राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला तथा राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम के सहयोग से मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड के साथ भारत के सभी राज्यों में संसद, विधानसभा तथा अन्य आम चुनावों के लिए पक्की रोशनाई की सप्लाई करने का करार किया। यह कंपनी 1962 के आम चुनाव के बाद से भारत में चुनाव के लिए पक्की रोशनाई की सप्लाई कर रही है।
भारतीय चुनाव के लिए अमिट पक्की रोशनाई सप्लाई करने के अतिरिक्त मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड 1976 से विश्व के 28 देशों को रोशनाई निर्यात कर रही है। इन देशों में तुर्की, दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया, नेपाल, घाना, पापूआ न्यू गिनी, बुरकीना फासो, कनाडा, टोबो, सियेरा लियोन, मलेशिया तथा कंबोडिया आदि शामिल हैं।
पक्की रोशनाई के बारे में दिलचस्प तथ्य
2009 के आम चुनाव में एमपीवीएल ने 10 एमएल आकार की लगभग 20 लाख शीशियों की आपूर्ति की। केवल उत्तर प्रदेश में 2.88 लाख शीशियों का उपयोग हुआ।
1.02.2006 से यह रोशनाई मतदाता के बायं हाथ की तर्जनी पर ऊपर से नीचे एक रेखा के रूप में लगाई जाती है। पहले यह रोशनाई नाखून और त्वचा के मिलने वाले स्थान पर लगाई जाती थी।
निर्वाचन निशान में सिल्वर नाइट्रेड होता है जो अल्ट्रा वायलट प्रकाश पड़ने पर त्वचा पर दाग छोड़ता है। इस दाग को धोना असंभव है और यह बाहरी त्वचा के उभरने पर ही खत्म होता है। इसमें सिल्वर नाइट्रेड की मात्रा 7 से 25 प्रतिशत होती है।
सामन्यत: पक्की रोशनाई बैंगनी होती है। 2005 में सूरीनाम ने विधायी चुनाव में नारंगी रंग का इस्तेमाल किया था।
छद्म मतदान की स्थिति में छद्म मतदाता के बायें हाथ की मध्यमा पर रोशनाई लगाई जाती है।
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