फ़ॉलोअर

मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

अल निनो मानसून को कैसे प्रभावित करता है

भारत के मध्य और उत्तरी क्षेत्रों में मानसून में होने वाले विलम्ब को प्रैस में आमतौर पर अल निनो के रूप में जाना जाता है। अल निनो नाम स्पैनिश से आता है जिसका अर्थ है छोटा लड़का । अल-निनो की परिस्थितियां आमतौर पर दक्षिण अमरीका के पश्चिमी तट पर प्रशांत महासागर में क्रिसमिस के आसपास अपना प्रभाव दिखाती हैं। अल निनो से बाढ, सूखे के अलावा दुनियाभर में अलग-अलग स्थानों पर अन्य समस्यायें भी उत्पन्न होती हैं। इन्हीं प्रभावों के कारण इससे उत्पन्न होने वाली संभावनाओं पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। यह दुनिया भर में (करीब 3 से 8 वर्षों) में मौसम और जलवायु में होने वाले अंतर-वार्षिक परिवर्तनों का सबसे प्रमुख ज्ञात स्रोत है हालांकि इससे सभी क्षेत्र प्रभावित नहीं होते। यह प्रशांत, अटलांटिक और हिन्द महासागर में अपना प्रभाव दिखाता है। अल-निनो आधिकारिक तौर पर मध्य उष्ण कटिबंधीय प्रशांत महासागर के पार 0.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा मैग्नीटयूड की समद्री सतह के तापमान की विसंगतियों को प्रमाणित करने के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह परिस्थितियां पांच माह से कम समय की अवधि की होती हैं तो इन्हें अल-निनो परिस्थितयों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। यदि विसंगतियां पांच माह अथवा उससे ज्यादा समय के लिए होती हैं तो इसे अल-निनो एपिसोड के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक, यह स्थिति 2-7 वर्षों के अनियमित अंतराल पर उत्पन्न होती है और आमतौर पर एक या दो वर्षो तक रहती है। मौसम वैज्ञानिक काफी समय से यह जानते हैं कि अल-निनो मानसून के व्यवहार को प्रभावित कर सकता है। भारत के 132 वर्ष पुराने वर्षा के इतिहास में यह देखा गया है कि भयंकर सूखे अल-निनों से उत्पन्न स्थितियों के साथ जुड़े रहे हैं। लेकिन अल-निनो परिस्थितियां हमेशा ही भयंकर सूखें को जन्म नहीं देतीं। अल-निनो -मानसून संबंध का पता लगाने वाले मौसम वैज्ञानिकों को यह विसंगतियां असमंजस में डाल देती हैं। प्राकृतिक रूप से, पूर्वी प्रशांत का जल ठंडा रहता है और जब अल-निनो मध्य प्रशांत के ऊपर के वातावरण को बेहद गर्म करता है तो यह गर्म होता है और वाष्प के रूप में उठता है। इससे भारत के ऊपर एक बड़े क्षेत्र में शुष्क वायु प्रवाहित होती है और इससे मानसून प्रभावित होता है लेकिन इसके अलावा हिन्द महासागर के तापमान जैसे अन्य कारण भी हैं जो मानसून में अपनी भूमिका अदा करते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

International Conference on Communication Trends and Practices in Digital Era (COMTREP-2022)

  Moderated technical session during the international conference COMTREP-2022 along with Prof. Vijayalaxmi madam and Prof. Sanjay Mohan Joh...