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गुरुवार, 20 फ़रवरी 2014

राष्ट्रीय ग्रीन इंडिया मिशन

पर्यावरण संरक्षण और देश के सभी हिस्सों में हरियाली को बढ़ावा देने की योजना को अमलीजामा पहनाते हुए यूपीए सरकार के मंत्रिमंडल की आर्थिक कार्य समिति ने केंद्र प्रायोजित स्कीम के रूप में राष्ट्रीय ग्रीन इंडिया मिशन के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इससे पर्यावरण के साथ साथ पेड़-पौधों और उससे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से जुड़े लोगों को कई तरह के फायदे होंगे। केंद्र की यूपीए सरकार ने आमलोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए 12वीं योजना में कुल 13,000 करोड़ रुपये में से इस योजना के लिए 2000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इससे बड़े पैमाने पर देश भर में हरियाली को बढ़ावा मिलेगा। स्कीम के लिए वित्तीय सहायता का स्रोत योजना व्यय तथा मनरेगा गतिविधियों, सीएएमपीए और एनएपी को मिलाने के जरिए से जुटाया जाएगा। पूर्वोत्तर राज्यों के लिए योजना व्यय में 90 प्रतिशत खर्च केंद्र सरकार और 10 प्रतिशत खर्च राज्य को करना होगा। शेष सभी राज्यों के लिए केंद्र सरकार 75 प्रतिशत और राज्य सरकार 25 प्रतिशत खर्च करेगी। 12वीं योजना अवधि के दौरान इस मिशन के उद्देश्यों में वन/वृ़क्ष क्षेत्र में वृद्धि करना और वन क्षेत्र की गुणवत्ता दो से बढ़ाकर 8 मिलियन हेक्टेयर करना, जैवविविधता, हाइड्रोलॉजिकल सेवाओं के साथ पारिस्थितिकीय सेवाओं में सुधार, वन में एवं आसपास रहने वाले परिवारों की वन आधारित आजीविका आय में वृद्धि तथा वार्षिक कार्बन डाइ आक्साइड पृथक्करण में वृद्धि करना शामिल है। इससे न सिर्फ जंगलों में रहने वाले या जंगल पर अपनी आजिविका के लिए पूरी तरह आश्रित आदिवासियों को फायदा होगा,बल्कि हरियाली के फैलने से लोगों को साफ एवं स्वच्छ हवा मिलेगी। इसका नतीजा यह होगा कि फेफड़े और सांस से संबधित बीमारियों में कमी आएगी। इस मिशन को लागू करने के दौरान इस बात का पूरा ध्यान रखा जाएगा कि इससे आम आदमी को ज्यादा से ज्यादा जोड़ा जाए साथ ही इसके बारे में जन सामान्य को के बीच अधिक से अधिक जागरुकता फैलाई जाए। यह मिशन योजना बनाने और निर्णय लेने, कार्यान्वयन और निगरानी में व्यावहारिक धरातल पर काम करने वाले संगठनों की विकेंद्रीकृत भागीदारी के आधार पर कार्यान्वित किया जाएगा। गांव स्तर पर ग्राम सभा तथा जेएफएमसी सहित ग्राम सभा के जनादेश से बनाई गई समितियां कार्यान्वयन की निगरानी करेंगी।

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