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बुधवार, 19 फ़रवरी 2014
युवाओं को रोजगार और शिक्षा के जरिए जोड़ने की अनूठी पहल
देश के बेरोजगार और शिक्षित युवाओं को रोजगार जल्द से जल्द कैसे रोजगार मिले और युवा शक्ति का बेहतर इस्तेमाल देश के विकास में कैसे हो। इस बात को लेकर केंद्र सरकार की ओर से बड़े पैमाने पर देश के अलग-अलग हिस्सों में कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसका मकसद युवाओं को आपस में जोड़ना और विकास में उनको भागीदार बनाना है। इसके तहत विशेष तौर से अशिक्षित मुस्लिम वयस्कों को साक्षर भारत अभियान के अंतर्गत कामकाजी साक्षरता प्रदान करने के लिए मौलाना आजाद तालीम-ए-बालिगान योजना -हुनर- चलाया जा रहा है। 'हुनर' के अंतर्गत युवाओं को प्राथमिक शिक्षा और व्यवसायिक कौशल प्रशिक्षण दोनों प्रदान किए जाएंगे। इसके अंतर्गत एक करोड़ अशिक्षित मुस्लिम युवाओं को जोड़ने और उन्हें इसका फायदा पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
राष्ट्रीय साक्षरता मिशन ने मौलाना आजाद तालीम-ए-बालिगान योजना के अंतर्गत शुरू में 2.5 लाख अशिक्षित मुस्लिम युवाओं को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने और करीब तीन लाख मुस्लिम युवाओं को आजीविका के लिए कौशल प्रशिक्षण देने का निश्चय किया है। उनके लिए शिक्षा की व्यवस्था को भी निरंतर जारी रखा जाएगा। इस कार्यक्रम के तहत वर्तमान पंच वर्षीय योजना के दौरान 600 करोड़ रुपये के आवंटन से 410 साक्षर जिले 'कवर' किए जाएंगे। यूपीए सरकार की यह योजना सरकार की दूरदर्शिता का नतीजा है और आने वाले समय में इससे लाखों की संख्या में युवाओं को रोजगार मिलेगा साथ ही देश में गरीबी की समस्या को जड़ से मिटाने में काफी मदद मिलेगी।
शिक्षा न केवल पढ़ना और लिखना सिखाती है बल्कि यह बेहतर आजीविका, सशक्तिकरण और लैंगिक समानता भी प्रदान करती है। शिक्षा के प्रचार-प्रसार के ध्येय से देश भर में केरल के मॉडल से प्रेरणा लेकर अन्य राज्य सरकारों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए। साक्षरता की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक उत्थान की नीति के अंतर्गत एक मानव अधिकार, विकास का एक संकेतक और समानता के उत्प्रेरक के रूप में सरकार की ओर से स्वीकार किया जा चुका है। देश के अल्पसंख्यक बहुल जिलों में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के ढांचे के अनुरूप अल्पसंख्यकों के लिए स्कूल खोले जाने पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
इसके अलावा किसानों की समस्या और उनकी बेहतरी के लिए केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2014-15 के लिए खाद्य सब्सिडी बढ़ाकर 1,15,000 करोड़ रुपए कर दी है। वित्त वर्ष 2013-14 के 92,000 करोड़ रुपए के संशोधित अनुमान से 23,000 करोड़ रुपए अधिक है। सब्सिडी में यह महत्वपूर्ण वृद्धि देश भर में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम का कार्यान्वयन करने की सरकार की प्रतिबद्धता के मद्देनजर उठाया गया है। खाद्य सब्सिडी खाद्यान की आर्थिक लागत और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत निर्धारित केन्द्रीय निर्गम मूल्य पर उनके वास्तविक बिक्री मूल्य के अंतर को पूरा करने के लिए है। सरकार के इस कदम से देश के करोड़ों किसानों को फायदा होगा।
वर्तमान वर्ष 2013-14 के दौरान सरकार ने लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत 500 लाख टन और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत 50 लाख टन खाद्यान्न आवंटित किए। इसके अलावा राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की अतिरिक्त वितरण जरूरतों को पूरा करने, प्राकृतिक आपदा और त्यौहारों आदि के लिए 12.98 लाख टन खाद्यान्न आवंटित किए गए है। सरकार ने थोक उपभोक्ताओं और छोटे निजी व्यापारियों को बिक्री के लिए 95 लाख टन गेहूं और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों/सहकारी संस्थाओं को बिक्री के लिए पांच लाख टन गेहूं और पांच लाख टन चावल आवंटित किया है ताकि खुले बाजार में बिक्री योजना के अंतर्गत खुदरा उपभोक्ताओं को इनका वितरण किया जा सके। केंद्रीय पूल से होने वाले आवंटन से बाजार में कीमतों पर नियंत्रण रखने में मदद मिलती है। इस तरह से सरकार ने बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए कारगर और ठोस कदम उठाए हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार राज्यों से लगातार आग्रह करती रही है कि वे ब्लॉक/तालुक स्तर पर उचित भंडारण क्षमता विकसित करे ताकि कम से कम तीन महीने की खाद्यान्न का भंडारण किया जा सके।
केंद्र की यूपीए सरकार की ओर से यह भी सुझाव दिया गया है कि ग्रामीण भंडारण योजना के अंतर्गत राज्यों की वित्तीय संसाधनों तक पहुंच होनी चाहिए, जिसमें गांवों में गोदामों के निर्माण के लिए पूंजी निवेश सब्सिडी प्रदान की जाती है। सरकार पूर्वोत्तर क्षेत्र और जम्मू-कश्मीर की सरकारों को गोदामों के तत्काल निर्माण के लिए सहायता अनुदान के रूप में योजना राशि प्रदान करती है। अब तक 71.05 करोड़ रूपये की लागत वाली कुल 71 परियोजनाओं के लिए 44.13 करोड़ रूपये जारी किए जा चुके हैं। इसका उद्देश्य इन राज्यों में 78,055 मीट्रिक टन भंडारण क्षमता तत्काल विकसित करना है। केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत मध्यवर्ती गोदाम के निर्माण की अनुमति दे दी है।
गरीब और आर्थिक रुप से कमजोर लोगों के लिए इंदिरा आवास योजना (आर्इएवाई) के संबंध में एक कार्यकारी समूह गठित किया गया। कार्यकारी समूह ने आईएवाई के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए है।
I.इंदिरा आवास योजना के तहत इकाई सहायता को बढ़ाना।
II.राज्य निधियों का सृजन।
III.ब्याज की विभेदक दर योजना (डीआरआई) के अंतर्गत ऋण को बढ़ाना।
IV.आईएवाई के तहत आवास-स्थल प्लॉट की खरीददारी के लिए इकाई सहायता को बढ़ाना।
V.आईएवाई के तहत प्रशासनिक खर्चों का प्रावधान।
इसके अलावा मंत्रालय ने 1 अप्रैल, 2013 से निम्नलिखित सुझावों को कार्यान्वित किया है :-
I. इंदिरा आवास योजना के तहत इकाई सहायता को मैदानी क्षेत्रों में 45,000 रु. से बढ़ाकर 70,000 रु. करना और पहाड़ी/दुर्गम क्षेत्रों/आईएपी जिलों में इसे 48,500 रु. से बढ़ाकर 75,000 रु. करना।
II.आईएवाई के तहत आवास स्थल प्लॉट खरीदने के लिए इकाई सहायता को 10,000 रु. से बढ़ाकर 20,000 रु. करना।
III.आईएवाई के तहत 4 प्रतिशत प्रशासनिक खर्चों का प्रावधान।
यहीं नहीं केंद्र सरकार ने देश के सभी हिस्सों को बेहतर तरीके से एक दूसरे से जोड़ने के साथ ही पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले में हरित हवाई अड्डे के निमार्ण के लिए मैसर्स प्रकाशम एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड को स्थल स्वीकृति दे दी है। इसके अलावा पिछले तीन वर्षों के दौरान सरकार पुद्दुचेरी के कराईकाल में, महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शीर्डी में और केरल के एरनमुला में तीन हरित हवाई अड्डों को स्वीकृति दे चुकी है। हैदाराबाद में राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के नाम से एक हरित क्षेत्र हवाई अड्डे को पहले से ही संचालित है।
ग्रामीण इलाकों में स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (एसजीएसवाई) का कार्यान्वयन 1999 से किया जा रहा है। इसका उद्देश्य ग्रामीण बीपीएल परिवारों को आय का सृजन करने वाली परिसंपत्तियों/आर्थिक गतिविधियों के माध्यम से सतत आय उपलब्ध कराना है ताकि उन्हें गरीबी रेखा से बाहर लाया जा सके। एसजीएसवाई को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (आजीविका) के रूप में बदला गया और इसे 3 जून, 2011 को शुरू किया गया। एसजीएसवाई के उत्तरवर्ती कार्यक्रम राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एलआरएलएम) में सभी ग्रामीण गरीब परिवारों को चरणबद्ध तरीके से शामिल करने का प्रस्ताव है। कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण गरीब महिलाओं के सशक्त एवं स्थाई जमीनी-स्तर के संस्थानों को बनाना तथा उन्हें लाभ्कारी स्व-रोजगार और कुशल मजदूरी रोजगार अवसरों के लिए उनके अपने सामाजिक नेटवर्कों, संसाधना और ज्ञान प्राप्त करने में मदद करना है जिससे कि वे सतत आधार पर अपनी आजीविका में उल्लेखनीय सुधार कर सकें। एनआरएलएम के तहत व्यापक सामाजिक एकजुटता के माध्यम से स्वंय सहायता समूह (एसएचजी) बनाने तथा ग्राम और उच्च स्तर पर इन समूहों के संघटन से यह सुनिश्चित होगा कि प्रत्येक ग्रामीण गरीब परिवार का कम से कम एक सदस्य, विशेष रूप से एक महिला सदस्य एसएचजी के तहत कवर की जाए जो एक बड़े सामाजिक नेटवर्क का हिस्सा हैा। एनआरएलएम का प्रस्ताव सभी एसएचजी का खाता खुलवाने में मदद करके उनके लिए व्यापक वित्तीय समावेशन को सुनिश्चित करना, साथ ही साथ उनकी थ्रिफ्ट तथा क्रेडिट कार्यकलापों को प्रोत्साहन देना और बैंकों से क्रेडिट तथा वित्तीय सहायता प्राप्त करने में उनकी मदद करना है। कार्यक्रम के अंतर्गत इच्छुक सदस्यों के लिए प्रशिक्षण तथा क्षमता-निर्माण का प्रावधान है ताकि वे लघु उद्यम शुरू करके अपनी आय में वृद्धि कर सके। स्व-रोजगार के अलावा, एनआरएलएम ग्रामीण गरीब युवकों को नियोजन से जुड़े कौशल विकास परियोजनाओं के माध्यम से कुशल मजदूरी रोजगार प्राप्त करने में भी मददगार है।
लघु उद्योग को बढ़ावा देने की नीयत से यूपीए सरकार ने हथकरघा क्षेत्र के पुनरुद्धार, सुधार और पुनर्गठन के पैकेज के अंतर्गत अब तक 1019 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता का अनुमोदन किया है। इसमें से यूपीए सरकार 741 करोड़ रुपये की धनराशि जारी भी कर चुकी है। अब तक लगभग 31 बड़ी सहकारी समितियों, 8,805 प्राथमिक सहकारी समितियों 50,500 बुनकरों और 5,462 स्वयं सहायता समूहों की मदद की जा चुकी है। इसके अलावा बैंक अब तक 1.13 लाख बुनकरों को 325 करोड़ रुपये का रियायती ऋण उपलब्ध करा चुके हैं। यह जानकारी पीआईबी की वेबसाइट पर मौजूद मंत्रालय की रिपोर्ट में दर्ज है। इसके तहत अब यूपीए सरकार ग्रामीण इलाकों की जनता के जीवन स्तर को सुधारने के साथ ही युवाओं की शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए अनेक लाभकारी योजनाएं चलाई जा रही है। इन योजनाओं का मकसद युवाओं के साथ साथ समाज के पिछले और अल्पसंख्यक लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाना और उनकी जीवन में खुशहाली लाना है।
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