फ़ॉलोअर
मंगलवार, 1 मार्च 2016
जीडीपी की वृद्धि दर बढ़कर 7.6 प्रतिशत हुई; 2016-17 का बजट 'ट्रांस्फॉर्म इंडिया' के एजेंडे पर टिका है : वित्त मंत्री
केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने आज लोकसभा में वित्त वर्ष 2016-17 का आम बजट पेश करते हुए कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर बढ़कर 7.6 प्रतिशत तक हो गई है। ऐसा पिछली सरकार के अंतिम तीन वर्षों के दौरान विश्व निर्यातों में हुए 7.7 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में, वैश्विक निर्यातों में 4.4 प्रतिशत की कमी होने के बावजूद हुआ। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर विकास 2014 के 3.4 प्रतिशत से कम होता हुआ 2015 में 3.1 प्रतिशत के स्तर पर आ गया। वित्तीय बाजारों पर आघात हुए हैं और वैश्विक व्यापार कम हो गया है। विश्व स्तर पर इन प्रतिकूल स्थितियों के बावजूद, अपनी अंदरूनी ताकतों एवं वर्तमान सरकार की नीतियों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपना आधार मजबूत बनाए रखा है।
वित्त मंत्री श्री जेटली ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष ने भारत को मंद पड़ती वैश्विक अर्थव्यवस्था के बीच एक 'दैदीप्यमान प्रकाश स्तंभ' का नाम दिया है। विश्व आर्थिक मंच ने कहा है कि भारत का विकास 'असाधारण रूप से उच्च' रहा है। हमने यह उपलब्धि प्रतिकूल स्थितियों के बावजूद और इस तथ्य के बावजूद हासिल की है कि हमें विरासत में एक ऐसी अर्थव्यवस्था मिली थी जिसमें विकास कम, महंगाई अधिक और सरकार की शासन करने की सामर्थ्य में निवेशक का विश्वास शून्य था।
वित्त मंत्री श्री जेटली ने यह भी कहा कि पिछली सरकार के अंतिम तीन वर्षों के दौरान, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक संबंधी मुद्रास्फीति 9.4 प्रतिशत के स्तर पर थी। हमारी सरकार के कार्यकाल में यह कम होकर 5.4 प्रतिशत पर आ गई। यह उपलब्धि लगातार दो वर्षों में मानसून की वर्षा में 13 प्रतिशत की कमी के बावजूद हासिल की गई।
श्री जेटली ने कहा कि हमारी वैदेशिक स्थिति मजबूत है और चालू खाता घाटा पिछले वर्ष के पूर्वार्द्ध के 18.4 बिलियन डॉलर से घटकर इस वर्ष 14.4 बिलियन डॉलर रह गया। अनुमान है कि इस वर्ष के अंत तक यह सकल घरेलू उत्पाद का 1.4 प्रतिशत रह जाएगा। हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 350 बिलियन डॉलर का है, जो अभी तक का अधिकतम स्तर है।
वित्त मंत्री ने इस सिद्धांत के प्रति संकल्प दोहराया कि सरकार के पास का धन लोगों का धन है, और सरकार पर इसे लोगों के, खासकर गरीब एवं वंचित वर्गों के कल्याण के लिए विवेकपूर्ण ढ़ंग से खर्च करने की पावन जिम्मेदारी है। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की अनुशंसाओं एवं रक्षा ओआरओपी के क्रियान्वयन के कारण वित्त वर्ष 2016-17 के लिए अपने व्यय को भी प्राथमिकता देने का निर्णय किया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार समाज के निर्बल वर्गों की सहायता के लिए तीन बड़ी योजनाएं शुरू करेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार की प्राथमिकता निर्बल वर्ग, ग्रामीण क्षेत्रों को अतिरिक्त संसाधन मुहैया कराने तथा भौतिक ढांचे का निर्माण करने की है।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
International Conference on Communication Trends and Practices in Digital Era (COMTREP-2022)
Moderated technical session during the international conference COMTREP-2022 along with Prof. Vijayalaxmi madam and Prof. Sanjay Mohan Joh...
-
छपाई एक कलाकृति है। यह प्रारंभिक चित्र के समान प्रकार में लगभग विविधता की अनुमति देती है। भारत में छपाई का इतिहास 1556 से शुरू होता है। इस य...
-
राष्ट्रीय परिवहन विकास नीति पर गठित राकेश मोहन समिति की रिपोर्ट की कुछ मुख्य बातें और सिफारिशें इस प्रकार हैं:- राष्ट्रीय परिवहन विक...
-
FAQs for Post-Graduate Students of Amity School of Communication (ASCO) – Noida The Non-Teaching Credit Course (NTCC) dissertation is one of...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें