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रविवार, 27 मार्च 2016

भारत को एक मजबूत और दूरदर्शी नेतृत्व की ज़रुरत

भारत का आने वाले दिनों में दशकीय दोहरे अंक की आर्थिक वृद्धि दर प्राप्‍त करना तय है, साथ ही, एक अरब से अधिक खुशहाल लोगों के साथ उसका एक महाशक्ति बनना भी तय है। अगर हम अधिक पारदर्शिता के साथ बड़े पैमाने की लागत का लाभ उठाएं और शुरू किए गए कार्यों की निगरानी करें तो भारत के पास बहुत जल्‍द खुद को रुपांतरित करने एवं विकसित देशों के समूह में प्रवेश कर जाने की क्षमता है। केंद्रीय बिजली, कोयला एवं नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल ने ये उद्गार व्‍यक्‍त किए। श्री पीयूष गोयल आज यहां युवा भारतीयों पर सम्‍मेलन ‘एक वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में भारत का निर्माण ’ सत्र को संबोधित कर रहे थे। बहरहाल, समाज के निचले स्‍तर के लोगों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने की जरूरत की चेतावनी देते हुए श्री गोयल ने कहा कि ‘हम तक एक आर्थिक महाशक्ति नहीं बन सकते जब तक सामाजिक संरचना के अंतिम पायदान के खड़े व्‍यक्ति को शिक्षा प्राप्‍त करने, कुशल बनने तथा एक बेहतर गुणवत्‍तापूर्ण जीवन स्‍तर की दिशा में बढ़ने का समान अवसर प्राप्‍त नहीं हो जाता।’ मेरे विचार से देश भर के गांव में बिजली सुविधा की कमी एक राष्‍ट्र के रूप में हमारे लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। ऐसे लगभग 50 मिलियन भर घर हैं जिनके पास बिजली की सुविधाएं नहीं हैं। अरुणाचल प्रदेश में ऐसे लगभग 808 गांव हैं जहां बिजली सुविधाओं की कमी है। हम जहां अब सिक्किम एवं अरुणाचल प्रदेश में एक ग्रिड का निर्माण करने पर कार्य कर रहे हैं, इसमें अभी वक्‍त लगेगा। इसलिए हम अंतरिम तौर पर ऑफ-ग्रिड समाधानों पर भी नजर रख रहे हैं। एक साथ मिलकर कार्य करने के महत्‍व पर जोर देते हुए उन्‍होंने कहा कि ‘सरकार एवं युवाओं को मिलकर कार्य करने, एक साथ विचार करने तथा विचारों को एक साथ क्रियान्वित करने की तथा एक टीम के रूप में काम करने की जरूरत है जिससे कि हम विकास के फलों को सामाजिक संरचना के अंतिम पायदान तक खड़े व्‍यक्ति तक पहुंचा सकें।’ उन कार्यों का उदाहरण देते हुए, जहां सरकार और युवाओं ने सफलतापूर्वक परिणामों को प्रदर्शित किया हैं कि एक टीम वर्क से उल्‍लेखनीय लाभ हासिल हो सकते हैं, उन्‍होंने कहा, ‘उज्‍जवल डिस्‍कॉम एंश्‍योरेंस योजना बिजली क्षेत्र में हाल में की जाने वाली सबसे व्‍यापक सुधार योजनाओं में से एक है, जिसकी परिकल्‍पना बिजली मंत्रालय की एक युवा टीम द्वारा की गई थी। ठीक इसी प्रकार एक कोयला तथा बिजली की कमी वाले देश से एक अधिशेष स्थिति तथा कोल इंडिया द्वारा उत्‍पादन में बढ़ोतरी करने की रुपरेखा कोल इंडिया की सहायक कंपनियों द्वारा बनाई गई थी, जिसने 500 युवा लोगों की एक टीम गठित की थी, जो कि इस उदाहरण के मुख्‍य वास्‍तुकार थे। महत्‍वपूर्ण बात यह है कि 365 इंजीनियरों से अधिक की एक युवा टीम गांवों के विद्युतिकरण की दिशा में काम कर रही है जहां बिजली की कोई सुविधा नहीं है और उन्‍होंने 7000 गांव में बिजली पहुंचा भी दी है।’ सरकार द्वारा क्रियान्वित की जा रही विभिन्‍न योजनाओं पर एक समग्र दृष्टिकोण की जरूरत की विवेचना करते हुए श्री गोयल ने कहा, ‘हमें वर्तमान प्रणाली में अवसरों को पहचानने तथा यह देखने की जरूरत है कि किस प्रकार इन्‍हें कार्य योग्‍य एजेंडा में तब्‍दील किया जा सकता है। अगर भारत सरकार द्वारा पिछले 22 महीनों के दौरान शुरू किए जाने वाली योजनाओं को अलग करके देखा जाए तो उनका बहुत प्रभाव नहीं भी हो सकता है। अगर हम यह महसूस करें किे किस प्रकार ये विभिन्‍न योजनाएं (स्किल इंडिया कार्यक्रम, जनधन योजना, मुद्रा योजना, मिशन अन्‍वेषण आदि) एक दूसरे के साथ समेकित हैं और एक साथ मिलकर सहायता संघ के रूप में काम करती हैं तो इन सभी योजनाओं का लाभ भारत के युवाओं के बेहतर भविष्‍य के सभी कायक्रमों के साथ जुड़ सकता है।’ भारत के पास मौजूद युवाओं की बड़ी आबादी के लाभ की चर्चा करते हुए श्री गोयल ने कहा कि इस बड़ी युवा आबादी का लाभ हमारी सबसे बड़ी ताकत है और हमें इसका फायदा उठाना चाहिए। इस कार्यक्रम तथा भारत के युवा किस प्रकार एक महाशक्ति बनने में एक प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं, के बारे में चर्चा करते हुए उन्‍होंने कहा, ‘मेरे विचार से यह योजना एक रुपांतकारी पहल की धुरी बन सकती है।‘ उन्‍होंने युवाओं से सरकार के साथ साझेदारी करने और एक साथ मिलजुलकर कार्य करने की अपील की है। एक विकसित देश की दिशा में आगे बढ़ने में अन्‍वेषण एवं प्रौद्योगिकियों की सुविधा की मुख्‍य भूमिका पर चर्चा करते हुए उन्‍होंने कहा, ‘अगर हम सभी क्षेत्रों में सर्वश्रेष्‍ठ प्रौद्योगिकी प्राप्‍त करने की तरफ गौर करें जैसा कि बिजली के क्षेत्र में हुआ है, बड़े पैमाने की लागत का इस्‍तेमाल करें और विनिर्माण को प्रोत्‍साहित करें तो यह भारत को अकुशल प्रौद्योगिकियों, परिसंपत्तियों एवं प्रचलनों को पीछे छोड़कर तेजी से आगे निकलने तथा ऐसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने जो ज्‍यादा कुशल तथा कम उत्‍सर्जनकारी हो, में मददगार साबित होगा।’ श्री गोयल ने नितिन गडकरी के नेतृत्‍व के तहत सृजित एक लघु कार्यसमूह का भी जिक्र किया। उन्‍होंने कहा कि यह कार्यसमूह भारत के 2030 तक शतप्रतिशत बिजली वाहनों की दिशा में रुपांतरित होने की संभावना का मूल्‍यांकन कर रहा है। यह योजना एक स्‍व वित्‍त पोषण पर आधारित होगी तथा उन बचतों के मौद्रीकरण पर विचार करेगी जो उपभोक्‍ताओं को पेट्रोलियम उत्‍पादों पर प्राप्‍त होंगे। बिजली मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक की सफलता को रेखांकित करते हुए श्री गोयल ने कहा, ‘भारत के एलईडी कार्यक्रम का परिणाम वार्षिक रूप से 100 बिलियन यूनिट की बचत के रूप में सामने आएगा तथा उपभोक्‍ताओं को इसका सीधा लाभ मिलेगा। आर्थिक रूप से यह सालाना 6.5 बिलियन डॉलर की बचत में सहायक होगा। पर्यावरण चिंताओं को देखते हुए यह कार्यक्रम लगभग 80 मिलियन टन कार्बन डायआक्‍साइड में कमी लाएगा। यह कार्यक्रम प्रदर्शित करता है कि किस प्रकार बड़े पैमाने की किफायत का लाभ एलईडी बल्‍बों की कीमत में उल्‍लेखनीय कमी के रूप में प्राप्‍त हो सकता है।’ एक महाशक्ति की दिशा में देश के आगे बढ़ने में ऊर्जा सुरक्षा के महत्‍व की चर्चा करते हुए श्री गोयल ने कहा कि भारत के पास आज उत्‍पादित होने वाली बिजली से 150 प्रतिशत अधिक बिजली उत्‍पादन की क्षमता है। उन्‍होंने कहा कि अगर हम उन परिसंपत्तियों का इस्‍तेमाल करें जिनका उपयोग नहीं हो पाता तो भारत का ऊर्जा के लिहाज से सुरक्षित होना तय है। उन्‍होंने कहा, ‘अब हम तेल एवं गैस पर अपनी निर्भरता कम करने पर काम कर रहे हैं। इसके साथ-साथ हम अपने खपत को कम करने के कार्यक्रम पर भी कार्य कर रहे हैं। हम ऐसे खपत को बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं जिसे पेट्रोल के साथ मिश्रित किया जा सके। अब हम पेट्रोल के साथ 5 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और अगले स्‍तर पर इसका किसानों की आय पर एक रुपांतकारी प्रभाव पड़ेगा।’ एसकेजे/एनआर-1656

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