फ़ॉलोअर

मंगलवार, 15 मार्च 2016

देश भक्ति के नाम पर मत करो सियासत

भारत माता की जय बोलने के मुद्दे पर आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत की सलाह, एमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी का भड़काऊ बयान और शिवसेना का ओवैसी को पाकिस्तान जाने की सलाह देना। ये पूरा मामला कुछ-कुछ वैसा ही जैसे कि देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कन्हैया के मुद्दे पर कांग्रेस और वामपंथी नेता एक झटके में जेएनयू कैंपस में हाजिरी देने पहुंच जाते हैं। लेकिन सैकड़ों गरीब, लाचार और बेबस किसानों की आत्महत्या पर एक बयान देने तक के लिए उनके पास वक्त नहीं है। उसी तरीके से माननीय मोहन भागवत को देश में गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, अशिक्षा, आतंकवाद, अलगाववाद, सड़क, बिजली और पानी के मुद्दे नहीं दिखाई देते। उन्हें सिर्फ भारत माता दिखाई देती हैं, इसलिए वह भारत माता की जय बोलने की वकालत करते हैं। लेकिन वह य़ह भूल जाते हैं कि भारत माता की असली सेवा तभी संभव है जब इस देश के दलित, गरीब, अल्पसंख्यक और लाखों ऐसे लोगों को रोजगार मिले, जो दो वक्त की रोटी के लिए भटक रहे हैं। देश के करोड़ों आदिवासियों को शिक्षा और बुनियादी सुविधा कैसे मिले इसकी चिंता न तो ओवैसी को है ना ही मोहन भागवत को और न ही शिवसेना को। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में पीने के पानी से लेकर सड़क और शिक्षा से जु़ड़े सवाल कई सालों से मुंह बाएं खड़े हैं। लेकिन ओवैसी को अपनी राजनीति चमकाने की चिंता ज्यादा है। गढचिरौली समेत दूसरे आदिवासी हिस्सों में गर्मियों में इंसान से लेकर जानवर तक भुखमरी के शिकार हो जाते हैं। लेकिन शिवसेना उस मुद्दे पर खामोशी साध लेती है। सभी सियासी नेताओं को देश की चिंता कम अपनी कुर्सी की चिंता ज्यादा सताने लगी है। ओवैसी को अगामी लोकसभा चुनाव में वोट की चिंता ज्यादा सताने लगी है। लिहाजा वह बिना सिर पैर के बयान देने से बाज नहीं आ रहे हैं। आरएसएस को भी बीजेपी के सत्ता में आए के बाद देश की चिंता कुछ ज्यादा ही सताने लगी है। लिहाजा वह हर दूसरे दिन देश भक्ति के नाम पर नए नए फरमान जारी करने में जुटी है। शिवसेना की पूरी राजनीति हिंदुत्व के नाम पर टिकी है। उसकी सियासी मजबूरी है कि वह हर वक्त हिंदुत्व का नारा बुलंद करता रहे। साथ ही पाकिस्तान की खिंचाई भी उसके सियासी एजेंडे को फायदा पहुंचाती है। लेकिन इन सबके के बीच देशहित, समाजहित और आमलोगों का सरोकार कहीं खो सा जाता है। इसकी किसी को परवाह तक नहीं रहती। आखिर सियासत की खातिर नेता कब तक आमलोगों को मोहरा बनाकर इस्तेमाल करेंगे। अपने फायदे के लिए कब लोगों के हितों की बलि चढ़ाते रहेंगे। वो दौर कब आएगा, जब नेता और सियासी दल लोगों की भलाई, देश की बेहतरी और समाज कल्याण की बातें करेंगे। यह सवाल आज हर देश भक्त नागरिक इन वोट प्रेमी नेताओं के गिरोह से पूछना चाहता है। Rakesh Prakash 9811153163

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

International Conference on Communication Trends and Practices in Digital Era (COMTREP-2022)

  Moderated technical session during the international conference COMTREP-2022 along with Prof. Vijayalaxmi madam and Prof. Sanjay Mohan Joh...