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बुधवार, 2 मार्च 2016

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के जरिए सरकार ने ली किसानों की सुध

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भारत के गरीब किसानों के लिए इसलिए भी महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि कमजोर मानसून के कारण देश के सामने लगातार दूसरे वर्ष सूखे की समस्या खड़ी हो गई है। नई फसल बीमा योजना के तहत सरकार को हर वर्ष 8 से 9 हजार करोड़ रुपए की आवश्‍यकता होगी। किसानों का प्रीमियम खाद्यान्‍न और तिलहन के लिए अधिकतम 2 प्रतिशत रखा गया है, जबकि बागवानी और कपास की फसल के लिए यह प्रीमियम 5 प्रतिशत है। बहुप्रतीक्षित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना इस वर्ष खरीफ फसल के मौसम से शुरू होगी। योजना को प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में संपन्‍न मंत्रिमंडल की बैठक में स्‍वीकृत दी गई थी। इस नई योजना को निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियां भी चलाएंगी। नीति-निर्माता, खेतिहर समुदाय और विशेषज्ञ इसे महत्‍वपूर्ण पहल मान रहे हैं। सरकार के इस कदम से मानसून के उतार-चढ़ाव से होने वाले प्रभावों से किसानों की सुरक्षा करने के लिए बीमा दायरे में अब अधिक रकबा रखा गया है। इस विचार से इस योजना की शुरुआत सही समय पर हुई है। उल्‍लेखनीय है कि कुछ अन्‍य देशों में भी इसी प्रकार की योजनाएं चलती हैं। रबी फसल के लिए किसानों का हिस्‍सा 8 से 10 प्रतिशत वार्षिक प्रीमियम के मुकाबले सही रूप में 1.5 प्रतिशत रखा गया है। वर्ष भर चलने वाली नकदी फसल और बागवानी फसल के मद्देनजर इसकी अधिकतम सीमा 5 प्रतिशत रखी गई है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मौजूदा राष्‍ट्रीय कृषि बीमा योजना और संशोधित एनएआईएस के स्‍थान पर होगी। सरकारी स्रोतो के अनुसार सेवाकर के संबंध में यह बताया गया है कि चूंकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना एनएआईएस/एनएनएआईएस के स्‍थान पर लागू की गई है इसलिए योजना के कार्यान्‍वयन में संलग्‍न सभी सेवाओं को सेवाकर से मुक्‍त कर दिया गया है। एक आकलन है कि नई योजना से बीमा प्रीमियम में किसानों के लिए लगभग 75-80 प्रतिशत की सब्‍सिडी सुनिश्‍चित की जाएगी। उल्‍लेखनीय है कि पिछले पांच वर्षों से विभिन्‍न आपदा राहत उपायों के तहत सरकार प्रतिवर्ष लगभग 5 हजार करोड़ रुपए खर्च कर रही है। सरकार के इस नए प्रयास से यह खर्च अस्‍थायी रूप से लगभग 9 हजार करोड़ रुपए हो जाएगा। जोखिम के संबंध में इससे खास तौर से किसानों को बहुत मदद मिलेगी। कई लोगों का मानना है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को पहले की बीमा योजनाओं के जटिल नियमों के जाल से मुक्‍ति भी मिलेगी। आधिकारिक घोषणा के चंद घंटों के अंदर ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने ट्वीट के द्वारा विश्‍वास व्‍यक्‍त किया था कि नई फसल बीमा योजना से किसानों के जीवन में आमूल परिवर्तन होगा। प्रधानमंत्री ने कई ट्वीटों के जरिए कहा, ‘यह एक ऐतिहासिक दिन है। मुझे विश्‍वास है कि किसानों के लाभ से प्रेरित यह योजना किसानों के जीवन में आमूल परिवर्तन लाएगी।’ उन्‍होंने अपनी ट्वीट में आगे कहा, ‘किसान भाइयो और बहनो, उस समय जब आप लोहड़ी, पोंगल और बिहू उत्‍सव मना रहे होंगे, तो उस समय सरकार ने आपको प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के रूप में एक उपहार भेंट किया है।’ नई योजना में मौजूदा योजनओं के कामयाब पक्षों को शामिल किया गया है और पुरानी योजनाओं में जो कमियां थीं, उन्‍हें ‘प्रभावशाली तरीके से दूर’ किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘योजना में सबसे कम प्रीमियम रखा गया है और मोबाइल फोन, क्षति का तुरंत आकलन तथा तय सीमा के अंदर भुगतान जैसी प्रौद्योगिकी के आसान प्रयोग भी शामिल किए गए हैं।’ बीमा दायरे में फसली रकबा 194.40 मीलियन हेक्‍टेयर रखा गया है और इसके लिए सरकार को हर वर्ष 8800 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। यह महत्‍वपूर्ण उल्‍लेख है कि मई, 2014 में सत्‍ता में आने के बाद मोदी सरकार ने यह घोषणा की थी कि वह एक नई फसल बीमा योजना शुरू करेगी। गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने भी विश्‍वास व्‍यक्‍त किया है कि किसान इस नई योजना को अपनाएंगे जो उन्‍हें वित्‍तीय उतार चढ़ावों से बचने में मदद करेगी। विशेषज्ञों का भी मानना है कि फसल प्रीमियम के लिए उच्‍च सब्‍सिडी दर अंतर्राष्‍ट्रीय मानकों के अनुरूप है। उदाहरण के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र में इस तरह के बीमा के दायरे में 120 हेक्‍टेयर मीलियन क्षेत्र को रखा गया है, जिसके लिए लगभग 70 प्रतिशत सब्‍सिडी दी जाती है। चीन में भी किसानों को बुआई संबंधी 75 मिलियन हेक्‍टेयर तक के दायरे में बीमा दिया जाता है, जिसके लिए प्रीमियम पर लगभग 80 प्रतिशत की सब्‍सिडी प्रदान की जाती है। इस परिप्रेक्ष्‍य में भारत में अगले 5 वर्षों के दौरान योजना के दायरे में फसली क्षेत्र का 50 प्रतिशत हिस्‍सा आ जाएगा। इस नई योजना में ऐसे कुछ नए पक्ष भी मौजूद हैं जो इस योजना को किसानों के अनुकूल बनाते हैं और भविष्‍य के दृष्‍यपटल को बदल देने में सक्षम हैं। नई फसल बीमा योजना ‘एक राष्‍ट्र-एक योजना’ की विषय वस्‍तु के अनुरूप है। एक आधिकारिक घोषणा में कहा गया है, ‘इस योजना में पुरानी योजनाओं के सभी बेहतरीन पक्ष मौजूद हैं और पुरानी योजनाओं की कमजोरियों तथा कमियों को दूर कर लिया गया है।’ इस तरह यह योजना किसानों को पहली योजनाओं की जटिलताओं से मुक्‍त करती है। हितधारकों के लिए महत्‍वपूर्ण बात यह है कि इस योजना में खेतों में खड़ी फसल को होने वाले नुकसान से बचाने का प्रावधान भी किया गया है। इस तरह खड़ी फसलों को न रोके जा सकने वाले नुकसानों से बचाया जा सकता है। इसमें स्‍वाभाविक आगजनी, बिजली गिरने, तूफान-आंधी, ओलावृष्‍टि, बवंडर, बाढ़, जल-भराई, भू-स्‍खलन, सूखा, किटाणु, फसल के रोग आदि जैसे जोखिम शामिल हैं। इसी तरह अन्‍य मामलो में जहां अधिसूचित क्षेत्रों के बीमित किसानों की बहुतायत को विपरीत मौसमी परिस्‍थितियों के चलते बुआई करने से रोका जाता है और ऐसी बुआई करने पर उन्‍हें अधिक खर्च करना पड़ता है, तो इसके लिए उनको यह अधिकार दिया गया है कि वे बीमित राशि का अधिकतम 25 प्रतिशत हर्जाने का दावा कर सकें। कटाई के बाद होने वाले नुकसान को भी बीमा के दायरे में रखा गया है। इसके लिए फसलों को कटाई के बाद सूखने के लिए मैदान में रखने के संबंध में अधिकतम 14 दिनों की अवधि के लिए यह बीमा उपलब्‍ध किया जाएगा। बीमा योजना के दायरे में उन अधिसूचित स्‍थानों की फसलों को भी रखा गया है, जिन स्‍थानों पर आंधी-तूफान, भू-स्‍खलन आदि जैसे जोखिम स्‍थानीय स्‍तर पर होते रहते हैं। इसके अलावा यह भी स्‍पष्‍ट किया गया है कि सरकार की सब्‍सिडी में कोई उच्‍च सीमा नहीं होगी। यदि बकाया प्रीमियत 90 प्रतिशत भी होगा तो उसे सरकार वहन करेगी। इसके पहले प्रीमियम दरों पर अधिकतम सीमा का प्रावधान था जिसके कारण किसानों को कम भुगतान हो पाता था। यह अधिकतम सीमा सरकार की प्रीमियम सब्‍सिडी की सीमा के मद्देनजर निर्धारित की गई थी। अब इस अधिकतम सीमा को समाप्‍त कर दिया गया है और किसानों को बीमित रकम का पूरा हिस्‍सा बिना किसी कटौती के प्राप्‍त होगा। नई योजना में प्रौद्योगिकी का भी उपयोग किया जाएगा। अधिक प्रौद्योगिकी और विज्ञान को प्रोत्‍साहित किया जाएगा। स्‍मार्ट फोनों के जरिए फसल कटाई का आंकड़ा अपलोड किया जाएगा ताकि किसानों को दावे का भुगतान करने में कम विलंब हो। स्रोतों ने बताया कि फसल कटाई प्रयोगों को कम करने के लिए दूर संवेदी प्रणाली का भी इस्‍तेमाल किया जाएगा। प्रौद्योगिकी का इस्‍तेमाल अनिवार्य बनाने से संचालन कुशलता में सुधार होगा और किसानों, बीमा एजेंसियों, विशेषज्ञों और बीमा क्षेत्र से संबंधित हितधारकों को लाभ होगा। इसके अलावा किसानों का प्रीमियम कम करने से नीतियों को अधिक कुशलता से लागू किया जा सकेगा। राज्‍यों के लिए नई फसल बीमा अनिवार्य करने का अर्थ है कि बीमा लेने वालों की सूची बढ़ेगी। इसके अलावा आंधी जैसी घटनाओं से फसल के नुकसान और तबाही से किसानों को बचाने के लिए उपाय किए गए हैं, जिनसे सभी हितधारकों को फायदा पहुंचेगा।

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