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गुरुवार, 17 मार्च 2016
सुकन्या समृद्धि खाता: बालिकाओं के सुरक्षित भविष्य की दिशा में ठोस कदम
लड़कों को प्राथमिकता देने वाली रुढि़वादी और गलत मानसिकता के कारण कुछ लोग कन्या भ्रूण हत्या कर देते हैं। इसके कारण देश में लैंगिक अनुपात में असमानता पैदा होती है। 2011 की जनगणना के अनुसार बाल लिंग अनुपात 914 दर्ज किया गया, जो स्वतंत्रता के बाद न्यूनतम है।
संयुक्त राष्ट्र ने इसी वर्ष जो रिपोर्ट प्रकाशित की थी, उसमें इस स्थिति को ‘आपातकालीन’ के रूप में उल्लेखित किया गया है। रिपोर्ट में इसका कारण देश में अवैध रूप से किए जाने वाले गर्भपात को बताया गया था।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि देश के समाजिक ढांचे में पुरुषों के बर्चस्व को रोकने के लिए तुरंत उपाय किए जाने चाहिए। इसके लिए स्कूली और उच्च शिक्षा को महत्पूर्ण घटक के रूप में पेश किया गया था ताकि लोग लिंग अनुपात के प्रति जागरुक हो सकें।
जनवरी 2015 में केंद्र सरकार ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना शुरू की, जिसका उद्देश्य लड़कियों के प्रति लोगों की मानसिकता में सकारात्मक परिवर्तन लाना है ताकि लड़कियों के साथ भेद-भाव समाप्त हो सके। इस योजना के जरिये सरकार देश के लोगों को जागरुक कर रही है ताकि लड़कियों और महिलाओं की स्थिति सुधर सके और लैंगिक समानता का लक्ष्य पूरा हो सके।
‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना के साथ ही ‘सुकन्या समृद्धि खाता’ योजना भी शुरू की है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना के बारे में तो बहुत कुछ लिखा-पढ़ा गया है, लेकिन सुकन्या समृद्धि खाते के बारे में लोगों को कम जानकारी है।
उल्लेखनीय है कि सुकन्या समृद्धि खाता छोटी बचत योजना है, लेकिन उसमें देश की लड़कियों के जीवन को प्रभावित करके उनमें आत्म सम्मान की भावना पैदा करने की क्षमता है। इस योजना का उद्देश्य लड़कियों को शिक्षित करने और उनका विवाह खर्च मुहैया कराकर उनके सुनहरे भविष्य का निर्माण करना है।
योजना के तहत माता-पिता या कानूनी अभिभावक लड़की के नाम से खाता खोल सकते हैं और उसका संचालन लड़की के 10 वर्ष की आयु होने तक कर सकते हैं। योजना के संबंध में सरकारी अधिसूचना के अनुसार यह खाता किसी भी डाकखाने और निर्धारित सरकारी बैंकों में खोला जा सकता है।
जो बैंक योजना के तहत खाता खोलने के लिए अधिकृत हैं उनमें भारतीय स्टेट बैंक, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर और जयपुर, स्टेट बैक ऑफ पटियाला, विजया बैक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक, सिंडिकेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, इंडियन ओवसीज बैंक, इंडियन बैंक, आईडीबीआई बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, देना बैंक, कारपोरेशन बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, एक्सिस बैंक, आंध्रा बैंक और इलाहाबाद बैंक शामिल हैं।
योजना के तहत जमा की जाने वाली रकम पर वार्षिक 9.2 प्रतिशत ब्याज दिया जाएगा। यह बहुत आकर्षक ब्याज दर है। बहरहाल, सरकार हर वर्ष ब्याज दर की समीक्षा करेगी और आम बजट के समय उसकी घोषणा की जाएगी। हर वर्ष जमा की जाने वाली रकम की न्यूनतम सीमा 1000 रुपये और अधिकतम सीमा एक लाख 50 हजार रुपये है। एक महीने में या एक वित्त वर्ष के दौरान रकम जमा करने की बारम्बारता की कोई सीमा नहीं है।
खाते की वैधानिकता उसके खोले जाने की तारीख से लेकर 21 वर्ष की है, जिसके बाद रकम परिपक्व होकर उस लड़की को दे दी जाएगी जिसके नाम पर खाता है। यदि परिपक्वता के बाद खाता बंद नहीं किया जाता है तो बैलेंस रकम पर ब्याज मिलता रहेगा, जिसके बारे में समय-समय पर सूचना प्रदान की जाती रहेगी। यदि लड़की का विवाह 21 वर्ष पूरा होने के पहले हो जाता है तो खाता अपने-आप बंद हो जाएगा।
खाता खोलने की तारीख से 14 वर्ष तक रकम जमा की जाएगी। इसके बाद जमाशुदा रकम पर ब्याज मिलता रहेगा।
यदि न्यूनतम आवश्यक निर्धारित राशि एक हजार रुपये को माता-पिता या अभिभावक जमा नहीं करते हैं तो खाता सक्रिय नहीं माना जाएगा। इस स्थिति में खाते को प्रति वर्ष 50 रुपये पेनाल्टी के सथ दोबारा चालू किया जा सकता है, लेकिन न्यूनतम रकम भी जमा करनी होगी।
21 वर्ष की परिपक्वता अवधि पूरी होने के पहले खाताधारी लड़की रकम निकाल सकती है बशर्ते कि उसकी आयु 18 वर्ष की हो गई हो। इस स्थिति में वह कुल जमा राशि का 50 प्रतिशत ही निकाल पाएगी। इसके लिए यह जरूरी है कि निकाली जाने वाली रकम या तो उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए हो या विवाह के लिए हो। यह भी उल्लेखनीय है की रकम निकालने के समय खाते में कम से कम 14 वर्ष या उससे अधिक की जमा मौजूद हो।
माता-पिता या अभिभावक लड़की के नाम एक ही खाता खोल सकते हैं और दो लड़कियों के नाम अधिकतम दो खाते खोले जा सकते हैं। यदि पहले एक लड़की हो और उसके बाद जुड़वा लड़कियां पैदा हों या पहली बार में ही तीन लड़कियां पैदा हों तो ऐसी स्थिति में तीन लड़कियों के नाम से बैंक खाते खोले जा सकते हैं।
सुकन्या समृद्धि खाता कार्यक्रम का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें कर छूट प्रदान की जाती है। जमा की जाने वाली रकम और परिपक्व रकम को आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत पूरे कर छूट प्राप्त है।
परिपक्व होने के पहले खाता बंद करने की दूसरी शर्त यह है कि जब सक्षम अधिकारी यह सुनिश्चित हो जाएगा कि अब जमाकर्ता के लिए खाते में रकम जमा करना संभव नहीं है और रकम जमा करने में मुश्किल हो रही है तो खाता बंद किया जा सकता है। खाता बंद करने की और कोई तीसरी वजह नहीं मानी जाएगी।
खाता खोलने की प्रक्रिया बहुत आसान है और इसके लिए तीन दस्तावेजों की आवश्यकता होगी—1. अस्पताल या सरकारी अधिकारी द्वारा प्रदान किया गया लड़की का जन्म प्रमाण पत्र 2. लड़की के माता-पिता या कानूनी अभिभावक के निवास का प्रमाण पत्र, जो पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, बिजली या टेलीफोन बिल, मतादाता पहचान पत्र, राशन कार्ड या भारत सरकार द्वारा प्रदत्त अन्य कोई भी प्रमाण पत्र जिसमें निवास का उल्लेख हो, 3. पैन कार्ड या हाईस्कूल प्रमाण पत्र भी खाता खोलने के लिए मान्य है। खाता खोले जाने के बाद उसे भारत में कहीं भी स्थानांतरित किया जा सकता है।
योजना में अभिभावक उसी समय शामिल हो सकता है जब लड़की के माता-पिता दोनों मृत हो चुके हो या वे खाता खोलने और उसे चलाने के अयोग्य हों। यह उल्लेख जरूरी है जिस लड़की के नाम से खाता खोला जाएगा वह यदि चाहे तो 10 वर्ष की आयु पूरा होने के बाद खुद अपना खाता चला सकती है।
सुकन्य समृद्धि खाता एक छोटी निवेश योजना भले हो लेकिन यह इस समय बहुत आवश्यक है और इससे लड़कियों को वित्तीय सुरक्षा मिलने में सहायता होगी।
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