मुंबई पर हुए आतंकी हमले के बाद से ही लगातार इस बात की आशंका बनी हुई थी की पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादी संगठन भारत को एक बार फिर नए और खतरनाक तरीके से निशाना बना सकते है। इसे लेकर चाक चौबंद सुरक्षा बंदोबस्त भी किया गए थे। लेकिन पुणे में हुए बम धमाके ने सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के दावों की पोल खोल कर रख दी है। अभी कुछ दिन पहले ही नई दिल्ली में आंतरिक सुरक्षा के बारे में आयोजित मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन मे आतंकवादी खतरे से निबटने की रूपरेखा तैयार की गयी । उन्होंने राष्ट्र के लिए दो लक्ष्य निर्धारित किए । पहला दिनोंदिन बढत़ी जा रही अत्याधुनिक आतंकवादी धमकी से निबटने के लिए तैयारी का स्तर ऊंचा करना और दूसरा, किसी आतंकवादी खतरे या आतंकवादी धमकी की अनुक्रिया की गति या निर्णयात्मकता को और अधिक बढा़ना । इन दोनों लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मुम्बई की घटनाओं के बाद सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं ।
आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) अधिनियम 2008
अन्य बातों के अलावा राज्य सरकारों द्वारा पीड़ितों के लिए क्षतिपूर्ति की एक व्यापक योजना बनाई गई है ताकि ऐसे अपराधों में, जिसमें सात वष तक कारावास दंड दिया जाता है, मामलों के बार-बार स्थगन के कारण मुकदमों के शीघ्र निबटान की कठिनाइयों, श्रब्य-दृश्य माध्यमों के जरिए पुलिस द्वारा अभियुक्त और गवाहों के बयानों की रिकार्डिंग के प्रावधन को उपलब्ध कराने और वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से न्यायिक हिरासत में अभियुक्त को और अधिक समय तक रखे रहने जैसी परेशानियों से क्षतिपूर्ति के लिए योजना बनाने का प्रावधान है।
केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (संशोधन) अध्यादेश 2009
निजी और संयुक्त उद्यम के उद्योगों ने अर्थव्यवस्था की वृद्धि में पर्याप्त योगदान किया है, लेकिन आतंकवादी तत्वों की बढत़ी हुई गतिविधियों के कारण भी सुरक्षा का आश्वासन चाहते हैं। इसलिए सीआईएसएफ अधिनियम 1968 के सम्बद्ध अंशों में संशोधन किया गया है जिससे लागत पुनर्भुगतान आधार पर निजी क्षेत्र और संयुक्त उद्यमों को भी सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ को तैनात करने के प्रावधान को लागू किया जा सकता है। इससे धमकी का अनुमान लगाकर उसके अनुसार निजी और संयुक्त क्षेत्र के उद्यमों के लिए सीआईएसएफ की तैनाती का प्रावधान शामिल किया जाये.
बहु-माध्यम केन्द्र
जनवरी १,२००९ से वर्ष२००१ मे बनाए गयेबहु-माध्यम केन्द्र ने कार्य प्रारम्भ किया और अब राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेशों की सरकारी की एजेंसियों के साथ खुफिया जानकारी का आपस में आदान-प्रदान करने के लिए वह बाध्य है । इसी प्रकार अन्य सभी एजेंसियां बहु-माध्यम केन्द्र के साथ खुफिया जानकारी का आपस में आदान-प्रदान करने के लिए बाध्य हैं । कई राज्यों में बहु-माध्यम केन्द्र की सहायक शाखाएं भी कायम की गयी हैं । केन्द्र और राज्य स्तरों पर पूर्ण विश्वसनीय सम्पर्क कायम करने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी गयी है ।
विधायी उपाय
राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम, गैर-कानूनी गतिविधियां (निरोधक( संशोधन अधिनियम तथा आपराधिक दंड - प्रक्रिया (संशोधन( अधिनियम बनाए गए हैं । सरकार ने केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (अधिनियम( अध्यादेश भी जारी किया गया है । यह भी प्रावधान किया गया है कि जहां भी ऐसी कोई गिरपऊतारी या बरामदगी होगी, इस तरह की व्यक्तियोंवस्तुएंदस्तावेजों को जब्त किया जाता है, बगैर देरी किए, ऐसे निकटतम पुलिस थाने में में जमा कर दिया जाए जो कानून के प्रावधानों के अनुसार उस पर कार्रवाई करे। आतंकवादी अधिनियम की परिभाषा व्यापक बनाई गई है और एआरसी की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए इसके तहत अनेक अतिरिक्त विशिष्ट अपराधों को विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय नियमों आदि, आतंकवाद के सिलसिले भर्ती, प्रशिक्षण और आतंकवाद के लिए वित्त उपलब्ध कराने सहित प्रावधानों आदि को शामिल किया गया है।
तटवर्ती भागों की सुरक्षा
मुम्बई में हुए आतंकवादी हमलों ने देश की समुद्री तट रेखा की सुरक्षा व्यवस्था की ओर ध्यान और अधिक आकृष्ट किया है। जनवरी, 2005 में मंत्रिमंडल समिति ने एक तटवर्ती सुरक्षा स्कीम तैयार करके उसकी स्वीकृति दी थी, उस पर पांच वर्षों से अधिक समय तक 400 करोड़ रुपये का गैर-आवर्ती व्यय तथा र्इंधन, जहाजों की मरम्मत एवं रख-रखाव तथा जहाजों की मरम्मत और कार्मिकों के प्रशिक्षण पर 151 करोड़ रुपये की आवर्ती व्यय का प्रावधान किया गया है। समुद्रतटीय सुरक्षा स्कीम के अंतर्गत 73 तटीय सुरक्षा स्कीम 73 तटवर्तीय पुलिस थाने, 97 चेक पोस्ट, 58 आउटपोस्ट तथा 30 संरचनात्मक बैरकों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है। पुलिस थाने को 204 गश्ती बोट उपलब्ध कराई जाएंगी जो आधुनिक नौवहन तथा समुद्री जहाज और सम्बद्ध उपकरणों से सज्जित होगी। 153 जीपों तथा 312 मोटर साइकिलों के लिए भी अनुमोदन कर दिया गया है। प्रत्येक पुलिस के लिए कम्प्यूटरों और अन्य उपकरणों के लिए 10-10 लाख रुपये की एकमुश्त रकम उपलब्ध कराई जाएगी।हाल में सम्बद्ध राज्यों एवं मंत्रालयोंएजेंसियों के साथ अनेक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठकें कराई गर्इं जिनमें समुद्रतटीय सुरक्षा और मजबूत बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने और अंतर्राज्यीय गिरोहों की पहचान करके उन्हें पूरा करने के लिए उनके खिलाफ जरूरी कारवाई करने का निश्चय किया गया। इनमें मछली पकड़ने वाले तथा अन्य जहाजों एवं नौकाओं का अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराने, मछुआरे के लिए पहचान पत्र जारी करने तथा टोही जहाजों और निगरानी प्रणालियों की व्यवस्था आदि शामिल हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड व्यवस्था
देश के विभिन्न भागों मे राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड की व्यवस्था कायम करने का केन्द्र सरकार का प्रस्ताव है। कोलकात्ता, मुम्बई, चेन्नई और हैदराबाद में मुख्य केन्द्र स्थापित किए जाएंगे। कुछ अन्य नगरों में रक्षाबलों द्वारा प्रशिक्षित आतंकवाद -विरोधी बल उपलब्ध कराये जाएंगे। उदाहरणार्थ, बंगलुरू को सेना की विशिष्ट यूनिटों की सुविधा दी जाएगी। राज्य सरकारों से आग्रह किया गया है कि इस मामले में अपने यहां के आतंकवाद- निरोधक बलों का कुछ योगदान करके आवश्यक पूर्ति करें। ऐसे कर्मचारियों की नियुक्ति एवं प्रशिक्षण के मामले में केन्द्र सरकार राज्यों की सहायता करेगी। देश के विभिन्न भागों में 20 उपद्रव-विरोधी तथा आतंक-विरोधी स्कूलों की स्थपना का कार्य प्रगति पर है इनमें राज्य पुलिस बलों की कमांडो यूनिटों को प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम चल रहा है।
सरकार तैयारियों के स्तर में वृद्धि के लिए और उपाय कर रही है और आतंकवाद की चुनौती का सामना करने के लिए और भी आवश्यक कार्रवाई कर रही है। लेकिन इन सभी उपायों का अपेक्षित परिणाम तभी मिल सकेगा जब इस दिशा में मिलजुलकर समग्र प्रयास किया जाए। राज्य सरकारों, गैर-सैनिक सामाजिक संगठनों तथा सभी लोगों को एकजुट होकर यह सुनिश्चित करना होगा कि आतंकवादियों के मंसूबे पूरे न होने पाएं। मुम्बई में हुए आतंकवादी हमलों की प्रतिक्रियास्वरूप एकजुटता और बढे़ और आतंकवादियों के खिलाफ मोर्चा अत्यधिक प्रभावशाली हो
रेल सुरक्षा
रेल मंत्रालय ने आतंकवादी, नक्सली तथा विघटनकारी ताकतों के खतरे को ध्यान में रखकर रेलवे स्टेशनों और गाड़ियों में सुरक्षा बढा़ने का निर्णय लिया है । चैन्ने, दिल्ली, कोलकाता और मुम्बई मेट्रो शहरों के स्टेशनों और भारतीय रेल के अन्य 140 संवेदनशील स्टेशनों पर एक एकीकृत सुरक्षा प्रणाली को लागू किया जा रहा है । इस प्रणाली में निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं -
1. वीडियो विश्लेषण सहित सीसीटीवी आधारित इंटरनेट प्रोटोकाल
2. पहुंच नियंत्रण
3. व्यक्ति और सामान की स्क्रीनिंग प्रणाली
4. विस्फोटकों को ढूंढना और निपटान प्रणाली
रेल मंत्रालय ने रेल सुरक्षा बल (रेसुब) द्वारा प्रयोग किए जाने वाले सुरक्षा उपकरणों की खरीद के लिए 60.76 करोड़ रुपये आबंटित किए हैं । रेल सुरक्षा बल का आधुनिक सुरक्षा उपकरणों जैसे इनसास 5.56 मि.मी. राइफलें, एके-47, एसएलआर 7.62, कार्बाइन 9मि.मी., बुलेटप्रूफ जैकेटों और हेलमटों, वाकी-टाकी, हैंड हेल्ड मेटल डिटेक्टर, डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर, डॉग स्कवाड आदि से उन्नयन किया गया है । रेलवे के लिए एक संयुक्त योजना तैयार करने के लिए रेलवे बोर्ड द्वारा रेल, रेल सुरक्षा बल, आसूचना ब्यूरो, केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, दिल्ली पुलिस और नेशनल सिक्योरिटी गार्ड के अधिकारियों को शामिल करके एक समिति गठित की है । समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है । रेलवे की सुरक्षा प्रणाली को सुदृढ क़रने के लिए इसे चालू किया जा रहा है ।
सौजन्य यूपीएससी पोर्टल डॉट काम।
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