फ़ॉलोअर

गुरुवार, 18 सितंबर 2014

क्या है जनप्रतिनिधित्‍व अधिनियम 1951 की धारा 126


जनप्रतिनिधित्‍व अधिनियम 1951 की धारा 126 के तहत विधानसभा क्षेत्र में मतदान समाप्‍त होने के 48 घंटें पहले की अवधि के दौरान अन्‍य माध्‍यमों के साथ-साथ टेलीविजन या इसके जैसे अन्‍य संचार माध्‍यमों द्वारा किसी भी प्रकार की चुनाव सामग्री का प्रदर्शन प्रतिबंधित है। उक्‍त धारा 126 के संबंधित हिस्‍सो को दोबारा नीचे दिया जा रहा है:- 126 धारा में मतदान समाप्‍त होने के 48 घंटे पहले की अवधि के दौरान सार्वजनिक बैठकें आयोजित करने पर प्रतिबंध है। 1 कोई भी व्‍यक्ति ऐसा नहीं कर सकता- (क)किसी भी चुनाव के लिए मतदान क्षेत्र में मतदान समाप्‍त होने के समय से 48 घंटे पहले की निर्धारित अवधि के दौरान चलचित्रण, टेलीविजन या इसी प्रकार के अन्‍य माध्‍यम के जरिये किसी प्रकार की चुनाव सामग्री का सार्वजनिक प्रदर्शन; (ख)ऐसा कोई भी व्‍यक्ति जो उपधारा (1) के प्रावधानों का उल्‍लंघन करता है तो उसे जेल की सजा हो सकती है जिसकी अवधि दो वर्ष के लिए बढाई जा सकती है या हर्जाना या दोनों सजाएं मिल सकती हैं। (ग)इस धारा में चुनाव सामग्री का मतलब ऐसी सामग्री से है जिसका मकसद एक चुनाव के परिणाम को प्रभावित करना है। 2 चुनाव के दौरान टीवी चैनलों द्वारा अपने पैनल विचार-विमर्श/बहस और अन्‍य समाचार और वर्तमान मामलों के प्रसारण में जन प्रतिनिधि अधिनियम 1951 की उपरोक्‍त धारा 126 के प्रावधानों का कभी-कभी उल्‍लंघन करने के आरोप लगाए जाते हैं। आयोग ने पहले भी स्‍पष्‍ट किया है कि उपरोक्‍त धारा 126 में किसी मतदान क्षेत्र में मतदान समाप्‍त होने के समय से 48 घंटे पहले की निर्धारित अवधि के दौरान टेलीविजन या इसी प्रकार के अन्‍य माध्‍यम के जरिये किसी प्रकार की चुनाव सामग्री का प्रदर्शन प्रतिबंधित है। उक्‍त धारा में चुनाव सामग्री को ऐसी सामग्री के रूप में परिभाषित किया गया है जो चुनाव परिणाम को प्रभावित करने के मकसद से तैयार की गई हो। धारा 126 के प्रावधान का उल्‍लंघन करने पर अधिकतम 2 वर्ष की जेल या हर्जाना या दोनों सजाएं हो सकती हैं। 3 इस संदर्भ में जनप्रतिनिधित्‍व अधिनियम 1951 की धारा 126ए पर भी ध्‍यान दिलाया जाता है जिसके तहत निर्धारित अवधि यानि मतदान शुरू होने के लिए निर्धारित घंटे से मतदान समाप्‍त होने के बाद के समय के दौरान एक्जिट पोल और उनके परिणाम का प्रसारण प्रतिबंधित है। 4 आयोग ने फिर जोर दिया कि टीवी/रेडियो तथा केबल नेटवर्क को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि धारा 126 में बताई गई 48 घंटों की अवधि के दौरान उनके द्वारा अपने कार्यक्रम के प्रसारण/प्रदर्शन में पैनलिस्‍ट/प्रतिभागियों के विचार/अपील सहित ऐसी कोई सामग्री न हो जिससे किसी दल विशेष या उम्‍मीदवार (उम्‍मीदवारों) अथवा चुनाव परिणाम पर असर/प्रभावित हो। इसमें किसी एक्जिट पोल के परिणाम का प्रदर्शन और बहस, विश्‍लेषण, दृश्‍य और साउंड बाइट सहित अन्‍य सामग्री शामिल है। 5इस अवधि के दौरान धारा 126 या धारा 126ए के प्रावधानों कें अंतर्गत न आने वाली समय अवधि के दौरान संबंधित टीवी/रेडियो/केबल/एफएम चैनल किसी कार्यक्रम के प्रसारण के लिए आवश्‍यक अनुमति के लिए राज्‍य/जिला/स्‍थानीय अधिकारी के पास जा सकते हैं लेकिन इसमें शालीनता और सांप्रदायिक सौहार्द बनाये रखने आदि से संबधित केबल नेटवर्क (नियामक) अधिनियम के तहत सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा निर्धारित मॉडल आचार संहिता और कार्यक्रम कोड के प्रावधान का पालन किया जाना चाहिए। उनके द्वारा पेड न्‍यूज और संबंधित मामलों के बारे में 27 अगस्‍त 2012 के आयोग के दिशा निर्देशों के प्रावधानों का भी पालन करना आवश्‍यक है। इस तरह की अनुमति देते समय संबंधित मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी को कानून और व्‍यवस्‍था की स्थिति सहित सभी संबंधित पहलुओं को ध्‍यान में रखना चाहिए। 6 प्रिंट मीडिया पर भी ध्‍यान दिया गया है और चुनाव के दौरान अनुपालन के लिए भारतीय प्रेस परिषद द्वारा निम्‍नलिखित दिशानिर्देश जारी किए गए हैं:- i.प्रेस का यह कर्त्‍तव्‍य है कि चुनाव और उम्‍मीदवारों के बारे में वस्‍तुनिष्‍ठ रिपोर्ट दी जाये। समाचार पत्रों से यह उम्‍मीद नहीं की जा सकती कि वे चुनाव प्रचार में शामिल हों, किसी उम्‍मीदवार/दल के बारे में बढ़ा चढ़ाकर खबर दें चुनाव के दौरान की घटनाओं के बारे में बतायें। आमतौर पर दो या तीन निकट प्रतिद्वंदियों पर पूरे मीडिया का ध्‍यान रहता है। जबकि वास्‍तविक प्रचार पर रिपोर्टिंग के दौरान एक समाचार पत्र को किसी उम्‍मीदवार के ऊपर व्‍यक्तिगत हमला करने के बजाय उसके द्वारा उठाये गये महत्‍वपूर्ण बिंदुओं को महत्‍व देना चाहिए। ii चुनाव कानूनों के तहत सांप्रदायिक या जाति पर आधारित चुनाव प्रचार प्रतिबंधित है इसलिए प्रेस को ऐसी रिपोर्ट से बचना चाहिए जिससे धर्म, जाति, नस्‍ल, समुदाय या भाषा के आधार पर लोगो के बीच दुश्‍मनी या घृणा की भावना बढ़े। iii. प्रेस को किसी उम्‍मीदवार के चरित्र और आचरण या उम्‍मीदवारी के संबंध में अथवा किसी उम्‍मीदवार के नाम वापसी के बारे में झूठे या गंभीर वक्‍तव्‍य छापने से बचना चाहिए जिससे चुनाव में उस उम्‍मीदवार के भविष्‍य पर असर न पडे। प्रेस को किसी उम्‍मीदवार/दल के खिलाफ आरोप की पुष्टि किये बिना खबर नहीं छापनी चाहिए। iv.प्रेस को एक उम्‍मीदवार/पार्टी को बढावा देने के लिए किसी प्रकार का प्रोत्‍साहन, वित्‍तीय या अन्‍य सामान नहीं स्‍वीकारना चाहिए। उसे किसी उम्‍मीदवार/दल की तरफ से दिये गये किसी प्रकार के आदर सत्‍कार या अन्‍य सुविधाएं नहीं लेनी चाहिए। v.प्रेस को किसी विशेष उम्‍मीदवार/पार्टी के प्रचार में शामिल नहीं होना चाहिए। अगर वह ऐसा करती है तो उसे अन्‍य उम्‍मीदवार/दल को इसका उत्‍तर देना होगा। vi. प्रेस को एक दल/सत्‍ता में सरकार की उपलब्धियों के बारे में सरकारी खजाने की कीमत पर कोई विज्ञापन स्‍वीकार/प्रकाशित नहीं करना चाहिए। vii.प्रेस को निर्वाचन आयोग/चुनाव अधिकारी या मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा समय-समय पर जारी सभी निर्देशों/आदेशों/अनुदेशों का पालन करना चाहिए। 7 तीन मार्च 2014 को एनबीएसए द्वारा जारी किये गये 'चुनाव प्रसारण के लिए दिशानिर्देश' में इलैक्‍ट्रॉनिक मीडिया का ध्‍यान आकर्षित किया गया है। i. समाचार प्रसारणकर्ताओं को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जन प्रतिनिधित्‍व अधि नियम 1951 के तहत नियम और कानूनों के अनुसार संबंधित चुनाव सामग्री, राजनीतिक दलों, उम्‍मीदवारों/प्रचार मुद्दों और चुनाव प्रक्रिया के बारे में लोगों को वस्‍तुनिष्‍ठ तरीके से जानकारी देने की कोशिश करनी चाहिए। ii. न्‍यूज चैनल को किसी दल या उम्‍मीदवार के साथ किसी राजनीतिक संबंध को उजागर करना चाहिए। समाचार प्रसारणकर्ताओं का यह कर्तव्‍य है कि विशेष रूप से चुनाव रिपोर्टिंग के दौरान वे संतुलित और बिना भेदभाव की रिपो‍र्टिंग करें। iii. समाचार प्रसारणकर्ताओं को राजनीतिक दलों या उम्‍मीदवारों के संबंध में विशेष रूप से अफवाह, आधारहीन अटकलबाजी और गलत जानकारी देने से बचने का प्रयास करना चाहिए। कोई उम्‍मीदवार/राजनीतिक दल जिसके बारे में अपमानजनक जानकारी दी गई हो या जानकारी गलत तरीके से दी गई हो अथवा प्रसारक द्वारा इस प्रकार के अन्‍य तरीके से नुकसान पहुंचाया गया हो तो प्रसारक को तुरंत इसमें सुधार करना चाहिए और पीडित पक्ष को उत्‍तर देने के लिए उचित समय उपलब्‍ध कराया जाना चाहिए। iv. समाचार प्रसारणकर्ताओं को ऐसे सभी राजनीतिक और वित्‍तीय दबाव से बचना चाहिए जो चुनाव और चुनाव संबंधी मामलों के कवरेज को प्रभावित कर सकते हैं। v. समाचार प्रसारणकर्ताओं को अपने समाचार चैनल पर संपादकीय और विशेषज्ञ की राय के बीच स्‍पष्‍ट अंतर करना चाहिए। vi. अगर कोई समाचार प्रसारणकर्ता राजनीतिक दलों की वीडियो सामग्री का इस्‍तेमाल करता है तो उसे इसके बारे में उजागर करना चाहिए और इस पर उचित टेग लगाना चाहिए। vii. विशेष सावधानी बरतनी चाहिए ताकि चुनाव और चुनाव संबंधी मुद्दों के समाचारों/कार्यक्रमों में कार्यक्रम, दिनांक, स्‍थान और टिप्‍प्‍णियों से संबंधित सभी तथ्‍य सही हों। अगर किसी गलती या लापरवाही से कोई गलत जानकारी प्रसारित हो जाती है तो जैसे ही प्रसारक की जानकारी में यह आता है उसे भी महत्‍व देते हुए तुरंत सुधारा जाना चाहिए। viii. समाचार प्रसारणकर्ता, उनके पत्रकार और पदाधिकारियों को धन या उपहार या अन्‍य कोई लाभ स्‍वीकार नहीं करना चाहिए जिससे प्रसारणकर्ता या उनके कार्मिकों की विश्‍वसनीयता प्रभावित हो या प्रभावित हुई लगती हो और जो उसके हितों को टकराव या हानि न पहुंचाए। ix. समाचार प्रसारणकर्ता को किसी प्रकार की नफरत फैलाने वाला या आपत्‍तिजनक शब्‍दों का कोई प्रसारण नहीं करना चाहिए जिससे हिंसा को बढ़ावा मिले या जन असंतोष को प्रोत्‍साहन मिले या अन्‍य गड़बड़ी फैले क्‍योंकि सांप्रदायिक और जातीय घटकों पर आधारित चुनाव प्रचार पर चुनाव कानून के अंतर्गत पाबंदी है। समाचार प्रसारणकर्ता को ऐसी रिपोर्टों को सख्‍ती से रोकना चाहिए जिनसे लोगों के बीच धार्मिक, वर्ग, जातीय, संप्रदाय, क्षेत्र या भाषा के आधार पर शत्रुता या घृणा की भावनाओं को प्रोत्‍साहन मिलता हो। x. समाचार प्रसारणकर्ताओं से समाचार और पेड कंटेंट के दरमियान अंतर बनाए रखना अपेक्षित है। सभी पेड घटकों पर स्‍पष्‍ट रूप से ‘पेड विज्ञापन’ या ‘पेड कंटेंट’ उल्‍लिखित होना चाहिए और पेड कंटेंट के लिए दिनांक 24.11.2011 को जारी किये गये ‘पेड समाचारों पर मानदंड और दिशा-निर्देश’ का अनुपालन किया जाना चाहिए। xi. ओपिनियन पोल की रिपोर्ट में सटीकता और निष्‍पक्षता पर विशेष ध्‍यान देना चाहिए। जिसमें दर्शकों के सामने यह खुलासा किया जाना चाहिए कि ओपिनियन पोल के आयोजन और प्रसारण को किसने आयोजित किया और किसने उसके लिए खर्च किया और समाचार प्रसारणकर्ता द्वारा ओपिनियन पोल के परिणामों या अन्‍य चुनाव पूर्वानुमान के संदर्भ, संभावना और सीमाओं की व्‍याख्‍या की जानी चाहिए। ओपिनियन पोल का प्रसारण चुनाव की महत्‍ता जैसे- इस बारे में अपनाया गया तरीका, सैंपल का आकार, गलतियों की सीमा, क्षेत्रीय कार्य की तिथियां और उपयोग किए गए आंकड़ों के बारे में सूचना दी जानी चाहिए ताकि दर्शक उसे अच्‍छी तरह समझ सकें। प्रसारणकर्ता को यह भी स्‍पष्‍ट करना चाहिए कि वोट की हिस्‍सेदारी किस प्रकार सीट की हिस्‍सेदारियों में परिवर्तित होती है। xii. भारतीय निर्वाचन आयोग चुनावों की घोषणा के समय से लेकर चुनाव परिणामों के निष्‍कर्ष और घोषणा होने तक समाचार प्रसारणों की निगरानी करेगा। सदस्‍य प्रसारणकर्ता द्वारा किए गए किसी भी उल्‍लंघन की जानकारी निर्वाचन आयोग द्वारा न्‍यूज ब्रॉडकास्‍टिंग स्‍टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीएसए) को दिए जाने पर एनबीएसए द्वारा अपने विनियमों के अनुसार कार्यवाही की जाएगी। xiii. प्रसारणकर्ता संभावित सीमा तक मतदाता शिक्षा कार्यक्रमों को चलाए जिससे मतदाताओं को मतदान प्रक्रिया, मतदान करने के महत्‍व और वह अपना वोट कैसे, कब और कहां दे के साथ-साथ उसे मतदान की गोपनीयता के बारे में भी प्रभावी जानकारी दी जा सके। xiv. समाचार प्रसारणकर्ता को यह स्‍पष्‍ट घोषणा किए बिना अंतिम/औपचारिक या निश्‍चित परिणामों का प्रसारण नहीं करना चाहिए कि ये परिणाम अनौपचारिक या अपूर्ण या आंशिक या अनुमानों पर आधारित है और इन्‍हें अंतिम परिणाम के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। अंतिम परिणामों की घोषणा चुनाव अधिकारी द्वारा विधिवत घोषणा के बाद ही की जानी चाहिए। उपरोक्‍त दिशा-निर्देशों का सर्व संबंधित मीडिया द्वारा अनुपालन किया जाना चाहिए।

 Seeing our scholar defending his PhD thesis during ODC was a great moment. This was the result of his hard work. Dr. Sanjay Singh, a senior...