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शुक्रवार, 3 मार्च 2017

भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य फेस्टिवल 'स्मृतियां'

तबले की थाप...घुंघरू की खनक...और वीणा के सुर...संगीत से सजी ये महफिल तबला के महान उस्ताद पंडित चतुर लाल की याद में आयोजित की गई है। दरअसल यहां मौजूद हर कलाकार ने अपनी साज के जरिए संगीत के इस महान विभूति को सच्ची श्रद्धांजलि दी। दो दिनों के इस कार्यक्रम में पंडित चतुर लाल की याद में संगीत के साधकों ने अपने परफॉरमेंस के जरिए सभागार में मौजूद लोगों का मन मोह लिया। कलाकारों ने अपनी कला के जरिए मंच पर शास्त्रीय संगीत और नृत्य की ऐसी धारा बहाई, मानों संगीत और नृत्य का ऐसा संगम शायद ही पहले कहीं और देखने को मिला हो। पंडित सलिल भट्ट के वीणा के सुर हो, या फिर नृत्यांगना गरिमा आर्य के तबले की थाप पर थिरकते कदम। हर कलाकार संगीत की अपनी साधना के जरिए तबला के सूरमा रहे पंडित चतुर लाल की याद ताजा करने की भरपूर कोशिश कर रहा था। प्रांशु चतुरलाल ने भी अपने परफॉरमेंस के जरिए संगीतप्रेमियों को झूमने पर मजबूर कर दिया। सितार के धुन और राग की बदौलत गौरव मजूमदार ने लोगों को संगीत की गहराइयों में डूबकी लगाने पर मजबूर कर दिया। राग बिहाग से लेकर तीन ताल में राग किरवानी को उन्होंने कुछ इस अंदाज में पेश किया कि मानों संगीत का ये रंग सबके दिलों में उतर गया हो। तबला के उस्ताद पंडित चतुर लाल की याद में भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य फेस्टिवल 'स्मृतियां' का आयोजन पंडित चतुरलाल मेमोरियल सोसाइटी ने किया था।

 Seeing our scholar defending his PhD thesis during ODC was a great moment. This was the result of his hard work. Dr. Sanjay Singh, a senior...