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मंगलवार, 12 अप्रैल 2016
भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में पूर्वोत्तर की फिल्मों पर विशेष जोर
46वां भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) पिछले साल मनाया गया। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के फिल्म महोत्सव निदेशालय ने गोवा सरकार के सहयोग से सिनेमा की आंखों से विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं को समझने के लिए भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का आयोजन किया गया। इस महोत्सव का मूल सिद्धांत एशिया के कलात्मक केन्द्र से लेकर विश्व के सिनेमेटिक कार्यक्षेत्रों की सभी शैलियों में फिल्म निर्माण के लिए नई नई खोज, बढ़ावा और सहयोग पर ध्यानकेन्द्रित कर शैलियों की विविधताओं, कलात्मकता और सामग्री को एक साथ लाना है। यह महोत्सव विश्व के सिनेमा प्रेमियों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ।
इफ्फी, फिल्मी दुनिया का एक बहुत बड़ा कार्यक्रम है जिसमें विशिष्ट पहलुओं/वर्गों को रेखांकित करने के लिए विशेष वर्ग भी है। दो वर्ष पहले इफ्फी में शुरू हुए पूर्वोत्तर वर्ग पर पिछले वर्ष भी विशेष ध्यान केंद्रित किया गया। महोत्सव के इस वर्ग में प्रसिद्ध फिल्मकार पद्मश्री और 15 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता मणिपुर के अरिबम श्याम शर्मा पर विशेष रिट्रोस्पेक्टिव दिखाया गया। भारतीय पेनोरमा वर्ग के फीचर ज्यूरी के अध्यक्ष श्री शर्मा के अपनी फिल्म ‘इमागीनिंगथम’ को देखने के लिए मक्विनेज पैलेस, थिएटर पहुंचे। यह फिल्म इफ्फी द्वारा पूर्वोत्तर सिनेमा पर ध्यान केंद्रित करने के रूप में दिखाई गई।
दर्शकों को संबोधित करते हुए श्री श्याम शर्मा ने कहा- ‘मैं प्रसन्न हूं और सम्मानित महसूस कर रहा हूं। इस मंच पर 1972 से अब तक की मेरी लंबी यात्रा रही है।’ उनकी फिल्म ‘इमागी निंगथम’ (मेरा बेटा, मेरी अमूल्य दौलत) को 1982 में दे त्रियो कॉन्टीनेंट्स फेस्टीवल में ‘ग्रें प्री’ पुरस्कार प्राप्त हुआ था। 1991 में केन्स फिल्म महोत्सव के लिए उनकी फिल्म ‘इशानॉव’ (एक चयनित) का आधिकारिक चयन (अन सर्टन रिगार्ड) किया गया था। ब्रिटिश फिल्म संस्थान ने उनकी फिल्म ‘संगाई-द डांसिग डीयर्स ऑफ मणिपुर’ को 1989 की बेहतरीन फिल्म घोषित की थी।
इस रिट्रोस्पेक्टिव में 14 फिल्में– ऑर्चिड्स ऑफ मणिपुर, इमागी निंगथम, येलहॉओ जगोई इशानॉव (केंस के लिए चयनित), ऑलांगथेगी वांगमदासो पारी, मणिपुरी, पोनी कोरो कोशी– द गेट द डिअर, ऑन द लेक द मोंपास ऑफ अरूणाचल प्रदेश मेइती, पुंग लाई हरावोबा और मराम्स थीं। इस वर्ष इफ्फी में एक अनोखा वर्ग शुरू किया गया है जिसमें पूर्वोत्तर की नई पीढ़ी के फिल्मकारों की फिल्में प्रदर्शित की गई। दूसरे वर्ग में पूर्वोत्तर की नई पीढ़ी के फिल्मकारों की दस फिल्मों का प्रदर्शन किया गया।
ये फिल्में हैं- असम से एम मनीराम की फिल्म ‘जेन्धिक्यों’ (असमिया), सूरज दुआरा की ‘ओरोंग’ (रभा), जादुमनी दत्ता की ‘पानी’ (असमिया), अरूणाचल प्रदेश से सांगे दोरजी थोंगदोक की ‘क्रोसिंग ब्रिजेस’ (शेरदुकपेन), मिजोरम से नेपोलियन आरजेड थेंग की –‘एमएनएस’(अंग्रेजी/मिजो), नगालैंड से किविनी शोहे की ‘ओ माई सोल’(अंग्रेज/एओ), मणिपुर से वांगलेन खुंदोंगबम की ‘पाल्लेफेम’ (मणिपुरी), मेघालय से डोनिमिक मेहम संगमा की ‘रोंग कुचक’ (गारो), नगालैंड से त्यानला जमीर की ‘द हनी हंटर एण्ड मेकर’ (अंग्रेजी) और त्रिपुरा से संजीब दास की ‘ऑन ए रोल’ (त्रिपुरा)।
महिला निर्देशकों के वर्ग में बॉबी शर्मा बरूआ की फिल्म ‘अदम्या’ (असमिया) ने पूर्वोत्तर की ओर ध्यान खींचा। इंद्र बनिया (हलोधिया चोराये बाओधान खाई) और बिद्युत चक्रवर्ती द्वार को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। भारतीय पेनोरमा में नीलांजन दत्ता द्वारा निर्देशित अरूणाचली फिल्म ‘हेड हंटर’ और मंजु बोरा के निर्देशन में बनी बोडो फिल्म ‘दाऊ हुदुनी’ का प्रदर्शन किया गया। यह उन 26 फिल्मों में शामिल थी, जिनका पूर्वोत्तर से भारतीय पेनोरमा की फीचर श्रेणी के लिये चयन किया गया था। गैर फीचर फिल्म की श्रेणी में रुचिका नेगी के निर्देशन में बनी अंग्रेजी, एओ नागमिया फिल्म ‘एवरी टाइम यू टेल ए स्टोरी’ और हाओबम पबम कुमार निर्देशित मणिपुरी फिल्म ‘अमित महंती एण्ड फूम शेंग’ का चयन किया गया था।
जानकारी के लिये, पूर्वोत्तर के जाने माने फिल्म समीक्षक और अब फिल्मकार उत्पल बोरपुजारी को इस वर्ष भी पिछले वर्ष की तरह ही इस वर्ग की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। श्री बोरपुजारी को वर्ष 2003 में 50वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में बेस्ट फिल्म क्रिटीक के लिए स्वर्ण कमल पुरस्कार प्रदान किया गया था। उन्हें राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय सिने पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है।
जाने माने फिल्मकार श्याम शर्मा ने फिल्म उद्योग में मौजूद क्षेत्रीय पूर्वाग्रहों पर विरोधाभासो को सही तरीके रखा। श्री शर्मा ने प्रश्न किया ‘क्या भारतीय फिल्में केवल वे हैं जो हिंदी या बॉलीवुड में बनती हैं? और कुल मिलाकर भारतीय फिल्म क्या है? उन्होंने कहा ‘जब मैं कई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में जाता हूं तो वहां मुझे भारतीय फिल्मकार कहा जाता है लेकिन अपने देश-भारत में मुझे क्षेत्रीय फिल्मकार कहा जाता है। कभी कभी हमें बुरा लगता है। हम छोटे लेकिन गंभीरता और ईमानदारी से फिल्म बनाने वाले हैं।’
उद्घाटन समारोह के दौरान महोत्सव निदेशक, सी सेंथिल राजन और इंटरटेनमेंट सोसायटी ऑफ गोवा (ईएसजी) के सीईओ अमेया अभ्यंकर द्वारा श्याम शर्मा, मंजू बोरा और उदीयमान निर्देशक एम मनीराम तथा जादूमनी दत्ता को सम्मानित किया गया।
श्री शर्मा ने कहा ‘इफ्फी जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पूर्वोत्तर सिनेमा का कद कई गुणा बढ़ रहा है।’ मुझे विश्वास है कि इस क्षेत्र से और फिल्में अधिक दर्शकों तक पहुंच पाएंगी। श्री बोरा ने कहा कि यह अच्छी बात है कि इफ्फी में पूर्वोत्तर सिनेमा पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है और इफ्फी 2015 में भी इसके लिए विशेष वर्ग भी निर्धारित किया गया।
बाद में संवाददाता सम्मेलन में अरिबम श्याम शर्मा और अन्य निर्देशकों ने पूर्वोत्तर की सिनेमा निर्माण की परेशानियों के बारे में बताया। श्री अरिबम श्याम शर्मा ने कहा कि पूर्वोत्तर फिल्मों के निर्माण में लागत सबसे महत्वपूर्ण कारक है और पूर्वोत्तर सिनेमा की निरंतरता के लिए वित्तीय सहायता की आवश्यकता है। सरकार पूर्वोत्तर के निर्देशकों को वित्तीय सहायता देकर बड़ी भूमिका अदा कर सकती है और उसे यह करना चाहिए। अरिबम ने कहा कि उनके कुछ बेहतरीन कार्यों के लिए उन्हें दूरदर्शन से वित्तीय सहायता मिली थी।
उदयीमान फिल्मकार श्री मनीराम और श्री दत्ता ने मीडिया और दर्शकों के साथ बातचीत कर महोत्सव में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि पूर्वोत्तर फिल्म उद्योग कम फिल्में बनाकर फिल्म निर्माण के क्षेत्र में पिछड़ सकता है लेकिन फिल्मोत्सवों में उनकी फिल्मों के प्रदर्शन से दर्शकों को इस क्षेत्र की संस्कृति और प्रजातीय मूल्यों के बारे में पता चलेगा।
अपनी फिल्म के बारे में श्री मनीराम ने कहा ‘यह सम्मान की बात है कि मेरी फिल्म से विशेष पूर्वोत्तर वर्ग की शुरूआत हुई है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों के हिसाब से फिल्म महोत्सव की पहुंच कही अधिक होती है और विविध दर्शकों के बीच मेरे कार्य के प्रदर्शन के लिए इस मंच को मैं जीवनभर के अवसर के रूप में देखता हूं।’
महोत्सव से पहले नई दिल्ली में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अरूण जेटली ने सही कहा था कि ‘पूर्वोत्तर सिनेमा पर फोकस’ उस क्षेत्र की श्रेष्ठ फिल्मों और फिल्मकारों के कार्यों को विश्व के समक्ष प्रदर्शित करने के लिए एक बड़े मंच के रूप में उभरा है। श्री जेटली ने कहा कि भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का विशेष महत्व है और यह सिनेमा की दुनिया में एक वैश्विक ब्रांड बन गया है। इस महोत्सव से बेहतरीन कार्यों को बढ़ावा मिलता है और यह देश के तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभावान फिल्मकारों को उनकी कलात्मकता प्रदर्शित करने का अवसर उपलब्ध कराता है।
प्लास्टिक आधार कार्ड बनाने वाली अवैध कंपनियों से सावधान रहें लोग - UIEDAI
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने आम लोगों को ऐसी अवैध कंपनियों के झांसे में आने के खिलाफ आगाह किया है जो स्मार्ट कार्ड के नाम पर प्लास्टिक पर आधार कार्ड छापने के लिए 50 रुपये से 200 रुपये तक वसूल रहे हैं जबकि आधार पत्र या इसका काटा गया हिस्सा या किसी सामान्य कागज पर आधार का डाउनलोड किया गया संस्करण पूरी तरह वैध है।
कुछ कंपनियों ने आधार के डाउनलोड संस्करण के सामान्य लैमीनेशन के लिए भी सामान्य से अधिक वसूलना शुरु कर दिया है।
यूआईडीएआई के महानिदेशक एवं मिशन निदेशक डॉ. अजय भूषण पांडेय ने कहा ‘आधार पत्र या किसी सामान्य कागज पर आधार का डाउनलोड किया गया संस्करण सभी उपयोगकर्ताओं के लिए पूरी तरह वैध है। अगर किसी व्यक्ति के पास एक कागजी आधार कार्ड है तो उसे अपने आधार कार्ड को लैमीनेट कराने या पैसे देकर तथाकथित स्मार्ट कार्ड प्राप्त करने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि स्मार्ट आधार कार्ड जैसी कोई चीज नहीं है।
अगर कोई व्यक्ति अपना आधार कार्ड खो देता है तो वह अपने आधार कार्ड को निशुल्क https://eaadhaar.uidai.gov.in से डाउनलोड कर सकते है। डाउन किये गये आधार का प्रिंट आउट भले ही वह श्वेत या श्याम रूप में क्यों न हों, उतना ही वैध है, जितना यूआईडीएआई द्वारा भेजा गया मौलिक आधार पत्र। इसे प्लास्टिक कार्ड पर प्रिंट करने या इसे लेमिनेट करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
अगर कोई व्यक्ति फिर भी चाहता है कि उसका आधार कार्ड लैमीनेट किया जाए या प्लास्टिक कार्ड पर प्रिंट किया जाए, तो वह इसे केवल अधिकृत समान सेवा केन्द्रों पर या अनुशंसित दर पर जो 30 रुपए से अधिक न हो, कीमत अदा करने के द्वारा आधार स्थायी नामांकन केन्द्रों पर ऐसा कर सकते हैं।
आम लोगों को सलाह दी जाती है कि अपनी गोपनीयता की सुरक्षा के लिए वे अपने आधार नंबर या व्यक्तिगत विवरणों को अवैध एजेंसियों के साथ इसे लैमीनेट कराने या प्लास्टिक कार्ड पर प्रिंट कराने के लिए साझा न करें।
ई-बे, फ्लिपकार्ट, अमेजन आदि जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों को इसके द्वारा सूचित किया जाता है कि वे आम लोगों से आधार की जानकारी एकत्रित करने के लिए या ऐसी सूचना प्राप्त करने के लिए आधार कार्ड को प्रिंट करने या आधार कार्ड को अवैध रूप से छापने या किसी भी प्रकार ऐसे व्यक्तियों को सहायता करने के लिए अपने व्यापारियों को अनुमति न दें। ऐसा करना भारतीय दंड संहिता और आधार (वित्तीय एवं अन्य सब्सिडियों, लाभों एवं सेवाओं की लक्षित आपूर्ति) अधिनियम, 2016 के अध्याय-VI के तहत भी दंडनीय अपराध है।
प्रीडेटर ड्रोन के जरिए आतंकियों पर लगाम कसने की तैयारी
देश के अलग अलग हिस्सों में आतंक का खात्मा करने के लिए भारत अब एक ऐसा ड्रोन खरीदने जा रहा है, जिसका नाम सुनते ही आईएसआईएस से लेकर तालिबान और पाकिस्तानी आतंकी संगठन कांपने लगते हैं। इस ड्रोन का नाम है प्रीडेटर एवेंजर। ड्रोन को सरल भाषा में यूएवी यानि मानव रहित विमान भी कहा जाता है। प्रीडेटर एवेंजर ड्रोन की खासियत है कि यह न सिर्फ दुश्मन के ठिकानों पर नज़र रखने का काम करता है, बल्कि आतंकी ठिकानों को चंद सेकेंड के भीतर तबाह भी कर सकता है। यहीं वजह है कि अमेरिका जैसा ताकतवर देश प्रीडेटर एवेंजर के जरिए अफगानिस्तान से लेकर सीरिया तक के आतंकियों पर नज़र रखने का काम करता है। इस ड्रोन की खासियत है कि यह एक तीर से दो निशाने साधने की ताकत रखता है। पहला दुश्मन के इलाके में सर्विलांस और दूसरा दुश्मन पर हमला। प्रीडेटर एवेंजर ड्रोन में लगे हथियार लेजर तकनीक की मदद से सटीक हमला करने की क्षमता से लैस है। भारत चालीस सालों से भी अधिक समय से आतंकवाद का दर्द झेल रहा है।
लिहाजा बेगुनाह जनता को मारने वाले आतंकियों का ठोस और कारगर इलाज करने की नियत से भारत ने प्रीडेटर एवेंजर ड्रोन को खरीदने का फैसला किया है। इस ड्रोन को खरीदने के पीछे कुछ और भी वजह है। भारत प्रीडेटर एवेंजर के जरिए आतंकियों को ठिकाने लगाने के साथ ही चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों को भी कड़ा संदेश देना चाहता है। पाकिस्तान और चीन दो ऐसे पड़ोसी है जो समय समय पर भारत की एकता और अखंडता के लिए चुनौती पेश करते रहते हैं। पाकिस्तान भारतीय सीमा में आतंकियों की घुसपैठ के जरिए भारत में हिंसा फैलाने की कार्रवाई को अंजाम देता है तो चीन की सेना खुलेआम लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक मनमाने तरीके से घुसपैठ कर महीनों तक तंबू गाड़कर जमी रहती है। भारत प्रीडेटर ड्रोन के जरिए न सिर्फ सीमा पार से आने वाले आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचा सकती है, बल्कि चीन के नापाक इरादों पर भी पैनी नज़र रख सकती है। प्रीडेटर एवेंजर ड्रोन के जरिए चीनी सेना की गतिविधियों को समय रहते टाला जा सकता है, साथ ही चीन के खिलाफ भारत भी सटीक जवाबी कार्रवाई कर सकता है। अमेरिका का एवेंजर ड्रोन दुश्मनों के लिए बेहद घातक हथियार साबित हो सकता है। अमेरिका ने हाल ही में एवेंजर ड्रोन की मदद से आईएसआईएस आतंकी जेहादी जॉन को उसी के इलाके में मौत के घाट उतार दिया। भारत भी प्रीडेडर एवेंजर ड्रोन की मदद से पाकिस्तानी इलाकों में चलने वाले आतंकी शिविर को तबाह कर सकता है। इस ड्रोन की मदद से भारत पाकिस्तानी आतंकियों की बोलती बंद कर सकता है। चीनी सेना के खतरनाक मंसूबों पर पानी फेर सकता है। भारत के भीतर भी सक्रिय आतंकी गिरोहों और नक्सलियों पर भी भारत इसके जरिए पैनी नज़र रख सकता है। लिहाजा प्रीडेटर एवेंजर की मदद से भारत सही मायने में देश के दुश्मनों का परमानेंट इलाज कर पाएगा। इसके अलावा देश को अंदर से खोखला करने काम में लगे नक्सलियों की गतिविधियों पर भी लगाम लगाने में भी काफी मदद मिलेगी। यह ऐसा ड्रोन है, जो मिसाइल से हमले कर सकता है, दुश्मनों के ठिकानों पर लेजर के जरिए बम गिरा सकता है। इतना ही नहीं इसमें ऐसी तकनीक लगी हुई है कि यह दुश्मन के राडार को जाम भी कर सकता है। प्रीडेटर एवेंजर ड्रोन लेजर तकनीक की बदौलत दुश्मन की उड़ती हुई मिसाइल को भी नष्ट कर सकता है। इन्हीं सब खूबियों को देखते हुए भारत ने भी ड्रोन की अपनी फौज तैयार करनी शुरू कर दी है। इजरायल जल्द ही भारत को दुश्मनों पर नज़र रखने वाली क्षमता से लैस ड्रोन की आपूर्ति करने वाला है।
प्रीडेटर एवेंजर ड्रोन हवा में 50 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ते हुए धरती पर पैनी नजर रखेगा। यह जेट विमान की रफ्तार से लगातार 18 घंटे उड़ सकता है। इसकी क्षमता साढ़े तीन हजार पाउंड वजन के हथियार अपने साथ ले जाने की है। यानि यह ड्रोन भारत के लिए सही मायने में कारगर साबित होने वाला है। इस ड्रोन की मदद से भारत दुश्मनों पर आसमान से मौत बरसा सकता है। अमेरिका की जनरल एटॉमिक्स एयरोनॉटिकल सिस्टम्स ने एवेंजर प्रीडेटर सी - ड्रोन तैयार किया है। यह ड्रोन अफगानिस्तान में लगातार तालिबान का सफाया कर रहा है। इसे फास्ट किलिंग मशीन के नाम से भी जाना जाता है।
शनिवार, 9 अप्रैल 2016
जुलाई से डिब्बाबंद वस्तुओं पर उत्पादों की जानकारी देना ज़रुरी
अब सभी डिब्बाबंद वस्तुओं को छह जरूरी जानकारियों को प्रमुखता के साथ प्रदर्शित करना होगा। ये जानकारी पैकेट के कम से कम 40 फीसदी क्षेत्र (ऊपर और नीचे के हिस्से को छोड़कर) में प्रदर्शित होनी चाहिए ताकि उपभोक्ता उसे आसानी से पढ़ सकें। इस उद्देश्य के लिए उपभोक्ता मामले , खाद्य तथा सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने डिब्बाबंद वस्तुओं के नियमों में बदलाव किया है। मसूरी में कल भारतीय मानक ब्यूरो की बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य तथा सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री रामविलास पासवान ने अपने मंत्रालय के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वह जुलाई से इन संशोधित नियमों को लागू कराया जाना सुनिश्चित करें।
संशोधन के मुताबिक पैकेट के 40 फीसदी हिस्से पर पढ़ने लायक फॉन्ट साइज़ में निर्माता का नाम/पैकेजर/आयातक, उत्पाद की शुद्ध मात्रा, उत्पाद के निर्माण की तिथि, खुदरा बिक्री मूल्य और उपभोक्ता देखभाल संपर्कों को प्रदर्शित करना होगा। नए नियमों का सख्ती के साथ पालन हो, इसके लिए निगरानी विभाग भी बनाया जाएगा।
श्री पासवान ने कहा कि उनका मंत्रालय उपभोक्ताओं की शिकायतों के निपटारे के लिए त्वरित प्रतिक्रिया पद्धति स्थापित कर रहा है। साथ ही मौजूदा राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन को भी इसके लिए तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा अब एक वरिष्ठ अधिकारी दैनिक आधार पर शिकायतों के निपटान की निगरानी करेगा। श्री पासवान ने उम्मीद जताई कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, जिसमें उपोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए कई प्रावधानों को शामिल किया गया है, बजट सत्र के दूसरे हिस्से में संसद द्वारा पास कर दिया जाएगा।
बैठक में बीआईएस के कामकाज की समीक्षा के दौरान मंत्री ने ब्यूरो से नए बीआईएस अधिनियम को जल्दी लागू कराए जाने को सुनिश्चित करने के लिए नियम बनाने को कहा, ताकि देश में अच्छी गुणवत्ता वाली वस्तुओं व सेवाओं की प्रवृति को बढ़ावा मिले। इसके बाद उन्होंने यह भी कहा कि बीआईएस ने स्टैंडर्ड फॉर्मुलेशन के लिए लिए 'मेक इन इंडिया' के तहत कई पहल की हैं। इनमें अक्षय ऊर्जा, जैव ईंधन, ऑटो कंपोनेंट, इलेक्ट्रिक मशीनरी और कंस्ट्रक्शन आदि से संबंधित साजोसामान शामिल हैं। इसके अलावा बीआईएस प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन, पानी और अपशिष्ट जल आपूर्ति प्रबंधन के नए मानक बनाकर स्वच्छ भारत अभियान में भी योगदान दे रहा है।
जल संसाधन प्रबंधन में मूलभूत बदलाव की ज़रुरत
राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने जल के प्रति बहु-विषयक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया है। नई दिल्ली में आज भारत जल सप्ताह 2016 आयोजन का समापन भाषण देते हुए श्री मुखर्जी ने कहा कि विश्व की जल समस्या के समाधान के लिए ‘भारत जल सप्ताह’ श्रेष्ठ व्यवहारों और विचारों को साझा करने की दिशा में प्रमुख कदम है। हमें सुदृढ़ पारिस्थितिकी प्रणाली, आधुनिक डाटा प्रणाली और टेकनोलॉजी में नवाचार को प्राथमिकता देनी होगी। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे कानूनों में इस सिद्धांत को शामिल करना होगा कि जल साझी विरासत है। श्री मुखर्जी ने कहा कि हमें इसका संरक्षण करना होगा और इसका उपयोग इस तरह करना होगा ताकि आने वाली पीढ़ी को पर्याप्त मात्रा में जल प्राप्त हो सके।
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने अपने संबोधन में जल संसाधन प्रबंधन में आमूल चूल बदलाव लाने का आह्वान किया। इसके मुख्य घटक हैं: संकीर्ण इंजीनियरी – निर्माण केंद्रित सोच से हटकर एक अधिक बहुविषयक, उन्होंने कहा भागीदारी प्रबंधन को अपनाना जिसमें मुख्य ध्यान कमान क्षेत्र विकास तथा जल उपयोग क्षमता को सुधारने के सतत प्रयासों पर हो जो अब तक बहुत ही निचले स्तर पर थे। सुश्री भारती ने कहा इसी समय, देश बड़े जलाशयों की क्षमता में बढोतरी, जो कम लागत में हो और पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों को तैयार करने में सक्रिय होगा जैसे कि पंचेश्वर में अभी है। उन्होंने कहा कि भूजल, भारत की सिंचाई की दो-तिहाई आवश्यकता और 80 प्रतिशत घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। यहां हमारा ध्यान भूजल की ‘समान सपंत्ति अधिकार’ की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए एक्विफर मैपिंग के आधार पर भूजल का सतत प्रबंधन करने की भागीदारी सोच पर है। प्रथम चरण में इस कार्यक्रम के अंतर्गत पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक तथा तमिलनाडू जैसे अधिक भूजल दोहन वाले राज्यों की मैपिंग करना प्रस्तावित है। केंद्र सरकार ने भूजल क्षेत्र को नया जीवन देने के लिए अगले पांच सालों में 6000 करोड़ रूपये की राशि अलग रखी है। अत्यधिक दोहन वाले क्षेत्रों में भूजल को नया जीवन देने के लिए ऊंची गुणवत्ता वाले व्यावसायिक मानव शक्ति को लगाने का प्रस्ताव है।
सुश्री भारती ने कहा कि हमारे शहरों में मल-मूत्र को निपटाने के कम खर्च वाले सतत नए तरीकों की खोज करनी होगी। सिद्धांत यह होना चाहिए कि सीवेज तंत्र के निर्माण पर कम खर्च हो, सीवेज नेटवर्क की लम्बाई कम की जाए और वेस्ट को संसाधन की तरह उपयोग में लाया जाए। उन्होंने कहा कि सीवेज को सिंचाई और उद्योगों के प्रयोग में लाया जाए। सुश्री भारती ने कहा कि भारतीय शहरों को अपने जल को री-साईकिल करके और वेस्ट को पुन: उपयोग में लाने की योजना शुरूआत में ही बनानी होगी ना कि अंत में। उन्होंने कहा कि पुन: उपयोग के लिए इसे कृषि जल निकायों के पुन: भरण, बागवानी तथा उद्योगों और घरेलू उपयोग के विकल्प में बांटना होगा। सुश्री भारती ने कहा कि इस गतिविधि को हम नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत बढावा दे रहे है।
सुश्री भारती ने कहा कि अब यह सर्वज्ञात है कि सरकार सभी अंशधारियों को शामिल करते हुए उचित उपायों को अपनाकर जलवायु परिवर्तन के विपरीत प्रभावों के शमन का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि उपरोक्त चुनौतियों का प्रभावी तरीके से सामना करने के लिए एकीकृत डिजिटल राष्ट्रीय जल संसाधन सूचना तंत्र अत्यावश्यक है। तदनुसार, हम विश्व बैंक की 3500 करोड़ की सहायता से राष्ट्रीय जलविज्ञान परियोजना में आवश्यक निर्णय तथा ऑपरेशन सहयोग के लिए राष्ट्रीय रीमोट सैंसिंग केंद्र की सहायता से केंद्रीय जल आयोग में इस समय उपलब्ध जल संसाधन सूचना तंत्र को सशक्त बनाने का काम कर रहे है। उन्होंने कहा कि सिंचाई प्रबंधन की भूमिका में बदलाव के लिए सिविल इंजीनियरों की क्षमता के पांरपरिक दृष्टिकोण को बदलने के लिए उनकी क्षमता का पुन: संवर्धन किया जाएगा। सुश्री भारती ने कहा कि सिंचाई प्रबंधन मे उत्कृष्ट केन्द्र स्थापित करने के लिए श्रेष्ठ राष्ट्रीय संस्थानों के साथ साझेदारी विकसित की जाएगी।
रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने कहा कि जलवायु परिवर्तन ने जल के मसले को सामने ला खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि निरंतर बढ़ती आबादी हमारे जल संसाधनों पर दबाव डाल रही है। श्री प्रभु ने जल से संबंधित विभिन्न मामलों को समग्र दृष्टिकोण से सुलझाने का आह्वान किया। नदियों को जोड़ने से संबंधित कार्यक्रम के त्वरित कार्यान्वयन की आवश्यकता पर बल देते हुए श्री प्रभु ने कहा कि नदियों को जोड़ने से संबंधित कार्यक्रम के पूरा होते ही सूखे और बाढ़ की समस्याएं काफी हद तक सुलझ जाएंगी। उन्होंने जल संसाधनों के प्रबंधन की चुनौतियों से कारगर रूप से निपटने के लिए परंपरागत उपायों और आधुनिक तकनीकों के बेहतर समन्वयन का आह्वान किया।
इजराइल के कृषि मंत्री श्री यूरी एरियल ने सम्मेलन के लिए अपने संदेश में कहा कि इजराइल से विशेषज्ञों और पेशेवरों के साथ दर्जनों इजराइली कंपनियों और उनकी उन्नत प्रौद्योगिकीयों की झलक प्रस्तुत करने वाले राष्ट्रीय पविल्यन में सक्रिय भागीदारी ने इस बात की झलक प्रस्तुत की है कि भारत-इजराइल जल भागीदारी का नया, समग्र और उन्नत स्वरूप क्या होगा। उन्होंने कहा, “मैं हमारे निरंतर प्रगाढ़ होते संबंधों में एक अन्य महत्वपूर्ण घटक जोड़ने की इजराइल की प्रतिबद्धता दोहराता हूं, जिसके तहत दोनों देशों ने यहां नई दिल्ली और भारत भर में दोनों देशों की जनता के कल्याण के लिए किए जा रहे प्रयासों में हाथ मिलाए हैं।”
राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने अपने संबोधन में कहा कि जल संसाधन प्रबंधन तभी सफल हो सकता है जब पर्याप्त संसाधन आवंटित किए गए हों और सरकार के विभिन्न प्रकोष्ठों, सामाजिक संगठनों, व्यापारिक घरानों और नागरिकों की पूरे ह्रदय से भागीदारी सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा कि जल प्रबंधन का दर्शन राजस्थान के ‘मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान’ में प्रतिबिम्बित होता है। श्रीमती राजे ने गांवों को पानी के संबंध में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अभियान चलाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि देश की संचार संबंधी कार्यनीति की रूपरेखा तैयार करने के लिए राष्ट्रीय कार्यबल होना चाहिए जो कृषि-जलवायु संबंधी स्थितियों के अनुरूप फसलों की पद्धतियों का वकालत करें।
केंद्रीय ग्रामीण विकास, पेय जल, स्वच्छता और पंचायती राज मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा कि भारत में पेय जल का प्राथमिक स्रोत परंपरागत रूप से भूजल रहा है, जो तेजी से कम होता जा रहा है। उन्होंने कहा है कि हमें पेयजल की जरूरतों के स्थान पर सतही जल के सर्वोत्तम उपयोग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। श्री सिंह ने कहा कि सतही जल और जल विज्ञान से संबंधित एजेंसियां भारत की सतही जल परिसंपत्तियों के मानचित्रण के लिए बहुत से महत्वपूर्ण आंकड़े जुटाती हैं। हालांकि इतने विशाल आंकड़ों के अलग अलग मूल होने और इन्हें जुटाने तथा प्रॉसेस करने के लिए अपनाई गई विभिन्न कार्य पद्धतियों की वजह से अनुकूल परिणाम नहीं निकलते। श्री सिंह ने कहा, “यहां विचार ये है कि एक ऐसा प्लेटफार्म तैयार किया जाए, जो वहनीय हो। यह तभी संभव होगा जब भूजल, सतही जल, भूमि उपयोग और ज्यामितीय प्रौद्योकियां तालमेल से काम करें। ”
नीति आयोग ने “ग्रैंड इनोवेशन चेलेंज” लांच किया
नीति आयोग ने आज देश की दस विकास चुनौतियों के बारे में नागरिकों की राय जानने के लिए “ग्रैंड इनोवेशन चेलेंज” का पहला चरण लांच किया। “ग्रैंड इनोवेशन चेलेंज” माई गोव पोर्टल पर लांच किया गया ताकि भारत के विकास के लिए पहले ही चरण में नवाचार में नागरिकों को शामिल किया जाए। विचार विकास सुनिश्चित करने के लिए और किसी को एक दूसरे से पीछे न छोड़ने के लिए टीम इंडिया के रूप में राज्यों और प्रत्येक नागरिकों के साथ मिलकर काम करना है। इसका बल सामाजिक क्षेत्र तथा अत्यंत कमजोर वर्गों पर है।
“ग्रैंड इनोवेशन चेलेंज” के पहले चरण में नीति आयोग देश के विकास के प्रमुख क्षेत्रों में भारत की चुनौतियों पर नागरिकों की राय लेगा। विचार लोगों से यह जानना है कि वह कौन-कौन से विषय है जो सामाजिक क्षेत्र को विकसित करने के लिए हल करने आवश्यक हैं और प्राथमिकता आधार पर तय की जाने वाली चुनौतियां क्या हैं। ग्रैंड चेलेंज का पहला चरण अप्रैल, 25 को समाप्त होगा। https://mygov.in/task/niti-aayog-grand-innovation-challenge/ पर प्रविष्टियां प्रस्तुत की जा सकती हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा विभिन्न मंचों पर भारत के विकास के लिए नवाचार तथा उद्यमशिलता के महत्व को दोहराए जाने के परिप्रेक्ष्य में “ग्रैंड इनोवेशन चेलेंज” लांच किया गया है। नीति आयोग अटल नवाचार मिशन (एआईएम) को लागू करने के लिए दिशा निर्देश तैयार करके इस लक्ष्य में लगा है। अटल नवाचार मिशन लांच किए जाने से देश की नवाचार क्षमता बढ़ेगी। देश और विदेश के बेहतरीन लोगों के साथ साझेदारी से शिक्षा, टेक्नोलॉजी, उद्योग, उद्यमशिलता तथा अनुसंधान के क्षेत्र में विशेषज्ञ एक साथ आएंगे।
शुक्रवार, 1 अप्रैल 2016
3 तलाक और 4 निकाह से कैसे मिलेगी मुक्ति?
एक बार फिर मुस्लिम समाज में तीन तलाक और 4 निकाह को लेकर जोरदार चर्चा चल रही है। कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के मसले पर सायरा बानो की याचिका को लेकर केंद्र सरकार और दूसरे सभी पक्षों को अपनी राय बताने को कहा था। सूत्रों की माने तो केंद्र सरकार की कमेटी ने सिफारिश दी है कि तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाया जाए। ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट और सरकार दोनों ही इस मुद्दे को लेकर आखिरी फैसला पर पहुंचना चाहते हैं। अब सबसे अहम प्रश्न यह है कि क्या सुप्रीम कोर्ट की राय और सरकार की सिफारिश को मुस्लिम भारत का मुस्लिम समाज स्वीकार करेगा। क्या आने वाले वक्त में भारतीय मुस्लिम समाज की महिलाओं को 'तलाक, तलाक, तलाक' पीड़ा से नहीं गुजरना पड़ेगा। धर्म के नाम पर तलाक के कुचक्र से मुस्लिम महिलाओं को कैसे मुक्ति मिलेगी।
तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के बाद अब केंद्र सरकार भी सुधार की सख्त जरूरत महसूस कर रही है। दरअसल सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार की कमिटी ने सिफारिश की है कि तीन तलाक पर बैन लगाया जाए। कमेटी ने कहा है मौखिक, तीन बार कहने पर दिए जाने वाले तलाक को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए, एकतरफा तलाक, 4 शादी करने को प्रतिबंधित किया जाए, इसके साथ ही मुस्लिम मैरिज एक्ट 1939 को रद्द करने की भी सिफारिश भी की गई है। कमेटी ने कहा कि अलग रहने और तलाक में पत्नी और बच्चों को गुजारा भत्ता भी मिलने चाहिए। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था है कि तीन तलाक़ की वैधता की समीक्षा की जाएगी. अदालत ने केंद्र सरकार और राष्ट्रीय महिला आयोग को 6 हफ्ते के भीतर सायरा बानो नाम की महिला की याचिका पर राय देने को कहा था,इस याचिका में कहा गया है, कि तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित किया जाए क्योंकि इससे मुस्लिम महिलाओं से गुलामों जैसा सलूक होता है। मुस्लिम महिलाओं को स्काइप, फेसबुक और टेक्स्ट मैसेज पर तलाक दिए गए हैं । ऐसे मनमाने तलाक से कोई बचाव नहीं है। लेकिन मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई में पक्षकार बना जमीयत उलेमा ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि सुप्रीम कोर्ट मुस्लिम समाज में शादी, तलाक और तलाक के बाद मेंटेनस की परंपरा को संविधान के ढांचे में नहीं परख सकता । क्योंकि पर्सनल लॉ को मूलभूत अधिकार के तहत चुनौती नहीं दी सकती। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी कहता है, कि तीन तलाक जैसे मसलों की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती। लेकिन सवाल है, कि क्या तीन तलाक को लेकर मुस्लिम संगठनों की ये दलील जायज है ? और अब सुप्रीम कोर्ट और सरकार के इस कदम के बाद क्या मुस्लिम महिलाओं को ट्रिपल तलाक से आजादी मिलेगी और ये क्या ये लड़ाई 'ट्रिपल तलाक' के खिलाफ 'आखिरी जंग' साबित होगी।
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