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मंगलवार, 12 अप्रैल 2016
भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में पूर्वोत्तर की फिल्मों पर विशेष जोर
46वां भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) पिछले साल मनाया गया। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के फिल्म महोत्सव निदेशालय ने गोवा सरकार के सहयोग से सिनेमा की आंखों से विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं को समझने के लिए भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का आयोजन किया गया। इस महोत्सव का मूल सिद्धांत एशिया के कलात्मक केन्द्र से लेकर विश्व के सिनेमेटिक कार्यक्षेत्रों की सभी शैलियों में फिल्म निर्माण के लिए नई नई खोज, बढ़ावा और सहयोग पर ध्यानकेन्द्रित कर शैलियों की विविधताओं, कलात्मकता और सामग्री को एक साथ लाना है। यह महोत्सव विश्व के सिनेमा प्रेमियों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ।
इफ्फी, फिल्मी दुनिया का एक बहुत बड़ा कार्यक्रम है जिसमें विशिष्ट पहलुओं/वर्गों को रेखांकित करने के लिए विशेष वर्ग भी है। दो वर्ष पहले इफ्फी में शुरू हुए पूर्वोत्तर वर्ग पर पिछले वर्ष भी विशेष ध्यान केंद्रित किया गया। महोत्सव के इस वर्ग में प्रसिद्ध फिल्मकार पद्मश्री और 15 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता मणिपुर के अरिबम श्याम शर्मा पर विशेष रिट्रोस्पेक्टिव दिखाया गया। भारतीय पेनोरमा वर्ग के फीचर ज्यूरी के अध्यक्ष श्री शर्मा के अपनी फिल्म ‘इमागीनिंगथम’ को देखने के लिए मक्विनेज पैलेस, थिएटर पहुंचे। यह फिल्म इफ्फी द्वारा पूर्वोत्तर सिनेमा पर ध्यान केंद्रित करने के रूप में दिखाई गई।
दर्शकों को संबोधित करते हुए श्री श्याम शर्मा ने कहा- ‘मैं प्रसन्न हूं और सम्मानित महसूस कर रहा हूं। इस मंच पर 1972 से अब तक की मेरी लंबी यात्रा रही है।’ उनकी फिल्म ‘इमागी निंगथम’ (मेरा बेटा, मेरी अमूल्य दौलत) को 1982 में दे त्रियो कॉन्टीनेंट्स फेस्टीवल में ‘ग्रें प्री’ पुरस्कार प्राप्त हुआ था। 1991 में केन्स फिल्म महोत्सव के लिए उनकी फिल्म ‘इशानॉव’ (एक चयनित) का आधिकारिक चयन (अन सर्टन रिगार्ड) किया गया था। ब्रिटिश फिल्म संस्थान ने उनकी फिल्म ‘संगाई-द डांसिग डीयर्स ऑफ मणिपुर’ को 1989 की बेहतरीन फिल्म घोषित की थी।
इस रिट्रोस्पेक्टिव में 14 फिल्में– ऑर्चिड्स ऑफ मणिपुर, इमागी निंगथम, येलहॉओ जगोई इशानॉव (केंस के लिए चयनित), ऑलांगथेगी वांगमदासो पारी, मणिपुरी, पोनी कोरो कोशी– द गेट द डिअर, ऑन द लेक द मोंपास ऑफ अरूणाचल प्रदेश मेइती, पुंग लाई हरावोबा और मराम्स थीं। इस वर्ष इफ्फी में एक अनोखा वर्ग शुरू किया गया है जिसमें पूर्वोत्तर की नई पीढ़ी के फिल्मकारों की फिल्में प्रदर्शित की गई। दूसरे वर्ग में पूर्वोत्तर की नई पीढ़ी के फिल्मकारों की दस फिल्मों का प्रदर्शन किया गया।
ये फिल्में हैं- असम से एम मनीराम की फिल्म ‘जेन्धिक्यों’ (असमिया), सूरज दुआरा की ‘ओरोंग’ (रभा), जादुमनी दत्ता की ‘पानी’ (असमिया), अरूणाचल प्रदेश से सांगे दोरजी थोंगदोक की ‘क्रोसिंग ब्रिजेस’ (शेरदुकपेन), मिजोरम से नेपोलियन आरजेड थेंग की –‘एमएनएस’(अंग्रेजी/मिजो), नगालैंड से किविनी शोहे की ‘ओ माई सोल’(अंग्रेज/एओ), मणिपुर से वांगलेन खुंदोंगबम की ‘पाल्लेफेम’ (मणिपुरी), मेघालय से डोनिमिक मेहम संगमा की ‘रोंग कुचक’ (गारो), नगालैंड से त्यानला जमीर की ‘द हनी हंटर एण्ड मेकर’ (अंग्रेजी) और त्रिपुरा से संजीब दास की ‘ऑन ए रोल’ (त्रिपुरा)।
महिला निर्देशकों के वर्ग में बॉबी शर्मा बरूआ की फिल्म ‘अदम्या’ (असमिया) ने पूर्वोत्तर की ओर ध्यान खींचा। इंद्र बनिया (हलोधिया चोराये बाओधान खाई) और बिद्युत चक्रवर्ती द्वार को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। भारतीय पेनोरमा में नीलांजन दत्ता द्वारा निर्देशित अरूणाचली फिल्म ‘हेड हंटर’ और मंजु बोरा के निर्देशन में बनी बोडो फिल्म ‘दाऊ हुदुनी’ का प्रदर्शन किया गया। यह उन 26 फिल्मों में शामिल थी, जिनका पूर्वोत्तर से भारतीय पेनोरमा की फीचर श्रेणी के लिये चयन किया गया था। गैर फीचर फिल्म की श्रेणी में रुचिका नेगी के निर्देशन में बनी अंग्रेजी, एओ नागमिया फिल्म ‘एवरी टाइम यू टेल ए स्टोरी’ और हाओबम पबम कुमार निर्देशित मणिपुरी फिल्म ‘अमित महंती एण्ड फूम शेंग’ का चयन किया गया था।
जानकारी के लिये, पूर्वोत्तर के जाने माने फिल्म समीक्षक और अब फिल्मकार उत्पल बोरपुजारी को इस वर्ष भी पिछले वर्ष की तरह ही इस वर्ग की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। श्री बोरपुजारी को वर्ष 2003 में 50वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में बेस्ट फिल्म क्रिटीक के लिए स्वर्ण कमल पुरस्कार प्रदान किया गया था। उन्हें राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय सिने पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है।
जाने माने फिल्मकार श्याम शर्मा ने फिल्म उद्योग में मौजूद क्षेत्रीय पूर्वाग्रहों पर विरोधाभासो को सही तरीके रखा। श्री शर्मा ने प्रश्न किया ‘क्या भारतीय फिल्में केवल वे हैं जो हिंदी या बॉलीवुड में बनती हैं? और कुल मिलाकर भारतीय फिल्म क्या है? उन्होंने कहा ‘जब मैं कई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में जाता हूं तो वहां मुझे भारतीय फिल्मकार कहा जाता है लेकिन अपने देश-भारत में मुझे क्षेत्रीय फिल्मकार कहा जाता है। कभी कभी हमें बुरा लगता है। हम छोटे लेकिन गंभीरता और ईमानदारी से फिल्म बनाने वाले हैं।’
उद्घाटन समारोह के दौरान महोत्सव निदेशक, सी सेंथिल राजन और इंटरटेनमेंट सोसायटी ऑफ गोवा (ईएसजी) के सीईओ अमेया अभ्यंकर द्वारा श्याम शर्मा, मंजू बोरा और उदीयमान निर्देशक एम मनीराम तथा जादूमनी दत्ता को सम्मानित किया गया।
श्री शर्मा ने कहा ‘इफ्फी जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पूर्वोत्तर सिनेमा का कद कई गुणा बढ़ रहा है।’ मुझे विश्वास है कि इस क्षेत्र से और फिल्में अधिक दर्शकों तक पहुंच पाएंगी। श्री बोरा ने कहा कि यह अच्छी बात है कि इफ्फी में पूर्वोत्तर सिनेमा पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है और इफ्फी 2015 में भी इसके लिए विशेष वर्ग भी निर्धारित किया गया।
बाद में संवाददाता सम्मेलन में अरिबम श्याम शर्मा और अन्य निर्देशकों ने पूर्वोत्तर की सिनेमा निर्माण की परेशानियों के बारे में बताया। श्री अरिबम श्याम शर्मा ने कहा कि पूर्वोत्तर फिल्मों के निर्माण में लागत सबसे महत्वपूर्ण कारक है और पूर्वोत्तर सिनेमा की निरंतरता के लिए वित्तीय सहायता की आवश्यकता है। सरकार पूर्वोत्तर के निर्देशकों को वित्तीय सहायता देकर बड़ी भूमिका अदा कर सकती है और उसे यह करना चाहिए। अरिबम ने कहा कि उनके कुछ बेहतरीन कार्यों के लिए उन्हें दूरदर्शन से वित्तीय सहायता मिली थी।
उदयीमान फिल्मकार श्री मनीराम और श्री दत्ता ने मीडिया और दर्शकों के साथ बातचीत कर महोत्सव में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि पूर्वोत्तर फिल्म उद्योग कम फिल्में बनाकर फिल्म निर्माण के क्षेत्र में पिछड़ सकता है लेकिन फिल्मोत्सवों में उनकी फिल्मों के प्रदर्शन से दर्शकों को इस क्षेत्र की संस्कृति और प्रजातीय मूल्यों के बारे में पता चलेगा।
अपनी फिल्म के बारे में श्री मनीराम ने कहा ‘यह सम्मान की बात है कि मेरी फिल्म से विशेष पूर्वोत्तर वर्ग की शुरूआत हुई है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों के हिसाब से फिल्म महोत्सव की पहुंच कही अधिक होती है और विविध दर्शकों के बीच मेरे कार्य के प्रदर्शन के लिए इस मंच को मैं जीवनभर के अवसर के रूप में देखता हूं।’
महोत्सव से पहले नई दिल्ली में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अरूण जेटली ने सही कहा था कि ‘पूर्वोत्तर सिनेमा पर फोकस’ उस क्षेत्र की श्रेष्ठ फिल्मों और फिल्मकारों के कार्यों को विश्व के समक्ष प्रदर्शित करने के लिए एक बड़े मंच के रूप में उभरा है। श्री जेटली ने कहा कि भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का विशेष महत्व है और यह सिनेमा की दुनिया में एक वैश्विक ब्रांड बन गया है। इस महोत्सव से बेहतरीन कार्यों को बढ़ावा मिलता है और यह देश के तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभावान फिल्मकारों को उनकी कलात्मकता प्रदर्शित करने का अवसर उपलब्ध कराता है।
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