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गुरुवार, 14 अप्रैल 2022
International Conference on Communication Trends and Practices in Digital Era (COMTREP-2022)
रविवार, 19 सितंबर 2021
महिला अधिकार को लेकर कारगर कदम उठाने की ज़रुरत
दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक आजादी को सुनिश्चित करने की दिशा में पुरजोर तरीके से ठोस पहल करने की ज़रुरत आन पड़ी है। इस बात को लेकर शिक्षाविद, कानूनी जानकार, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं की कारगर भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है। लिहाजा हमने इस मुद्दे पर समाज के बुद्धीजीवियों से उनकी राय जानने की कोशिश की गई। समाज को एक नई दिशा देने की कोशिश में जुटे डीपीएमआई की मैनेजिंग डायरेक्टर पूनम बछेती और एजुकेशनल फोरम फॉर वीमेन जस्टिस एंड सोशल वेलफेयर की फाउंडर इंदिरा मिश्रा ने महिलाओं के अधिकारों के प्रति सामाजिक उदासीनता को लेकर चिंता जताई। डीपीएमआई की प्रबंध निदेशक पूनम बछेती जी ने महिलाओं के प्रति समाज की सोच और दायित्व को लेकर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि समाज का यह दायित्व है कि वह महलाओं के अधिकारों के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन बिना किसी भेदभाव के करें। इस तरह की कोशिशें आने वाले समय में मील का पत्थर साबित होगी। महिलाओं के हक में और समाज को सही दिशा दिखाने में महिलाओं की सार्थक भूमिका भी काफी मायने रखती है। महिलाओं में क्षमता है, साहस है, काबलियत है और मुसीबतों से लड़ने की ताकत भी है। महिलाएं हर क्षेत्र में कामयाबी की मिसाल कायम कर सकती है। बस ज़रुरत इस बात की है, कि उन्हें समाज के हर क्षेत्र में उचित भागीदारी और प्रोत्साहन मिले। एजुकेशनल फोरम फॉर वीमेन जस्टिस एंड सोशल वेलफेयर की फाउंडर इंदिरा मिश्रा जी ने महिलाओं के हक के लिए अपने संघर्ष से भरे सफर का जिक्र किया। उन्होंने महिलाओं को जिंदगी की राह में मुश्किलों का सामना करते हुए आगे बढने और अपने हक के लिए लड़ने की प्रेरणा दी।
द ट्रिब्यून में विधि संपादक सत्य प्रकाश ने महिलाओं से जु़ड़ी
समस्याओं को लेकर जमीनी हकीकत का जिक्र किया। उन्होंने गांव-समाज से लेकर
प्रोफेशनल जिंदगी में महिलाओं से जुड़ी समस्याओं को सामने रखते हुए मौजूदा दौर में महिला के
लिए चुनौतियों का भी जिक्र किया। संविधान के चौथे स्तंभ्म के जरिए समाज में महिला
अधिकार के लिए अलख जगाने वाले सत्य प्रकाश ने महिला उत्थान और अधिकार के लिए
पुरुषों को अपनी मानसिकता
बदलने की सलाह दी। उन्होंने सामाजिक, राजनीतिक, पारिवारिक
परिप्रेक्ष्य का हवाला देते हुए कहा कि महिलाओं के हक की बात तो सभी करते
हैं। लेकिन जब संसद में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने की बात आती है तो सभी
राजनीतिक दल चुप्पी साध लेते हैं।
समाज को शिक्षा के जरिए दिशा दिखाने वाली ममता सिंह, जोकि प्राध्यापिका भी है, उन्होंने समाज में महिलाओ की
स्थिति को समाजिक परिप्रेक्ष्य में परिभाषित करते हुए महिलाओं के हक की आवाज को बुलंदी से सबके सामने
रखी। उन्होंने आम आदमी के घरेलू और पारिवारिक हालात का जिक्र करते हुए कहा कि
राज्य या शहर कोई भी हो, महिलाओं
के हालात कमोबेश एक जैसे ही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि महिलाएं हर क्षेत्र में
किसी से कम नहीं है, महिलाओं
में कौशल भी है, कुलशता
भी है और चुनौतियों से लड़ने की ताकत भी है। लिहाजा नारी बेचारी नहीं बल्कि
क्रांतिकारी है
और समाज की हितकारी है।
महिलाओं की प्रतिभा, और
कौशल की सराहना तो सभी करते है। लेकिन इसके बाद भी उन्नति के मामले में महिलाएं पीछे
क्यों रह जाती है।
पहले के मुकाबले संसद में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है लेकिन समाज में महिलाओं के
प्रति अपराध में भी बढोत्तरी हुई है। जोकि एक चिंताजनक हालात है इससे निपटने की सख्त ज़रुरत है। सरकार के
साथ साथ समाज को भी सार्थक तरीके से अपनी भूमिका को निभाने की ज़रुरत है। क्योंकि
बिना सामाजिक जागरुकता के लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता।
सामाजिक कार्यकर्ता रीना सिंह ने महिलाओं को हक दिलाने के लिए पुरुषों की भूमिका की भी सराहना की। उन्होने कहा कि महिलाओं के पास हुनर है कौशल है लेकिन उनके हौसले की उड़ान को एक नई पहचान देने की ज़रुरत है। इस दिशा में समाज के साथ साथ सरकार और सामजिक कार्यकर्ताओं को भी सार्थक भूमिका निभाने की ज़रुरत है।
शुक्रवार, 9 अप्रैल 2021
Faculty Development Programme
Coordinated a session with Prof. Manukonda Rabindranath of Jawaharlal Nehru University, New Delhi. The FDP was jointly organized by Amity Academic Staff College and Amity School of Communication, AUUP, Noida. The 7-day faculty development program was based on the topic Reconstructing Research in Media and Communication.
शनिवार, 2 जनवरी 2021
Significance of the NTCC Dissertation – How will it Benefit You?
FAQs for Post-Graduate Students of Amity School of Communication (ASCO) – Noida
Release Date: 18th February, 2019
शनिवार, 7 नवंबर 2020
सोमवार, 3 अगस्त 2020
Seeing our scholar defending his PhD thesis during ODC was a great moment. This was the result of his hard work. Dr. Sanjay Singh, a senior...

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छपाई एक कलाकृति है। यह प्रारंभिक चित्र के समान प्रकार में लगभग विविधता की अनुमति देती है। भारत में छपाई का इतिहास 1556 से शुरू होता है। इस य...
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अभी हाल ही में गैर-सरकारी संगठनों के साथ राष्ट्रीय परामर्श की एक रिपोर्ट में बाल-अधिकारों की पुष्टि में सरकार की निर्णायक भूमिका को रेखांकित...