सुबह-शाम गली से तेरे, जब
भी गुजरता हूं मैं
तन्हाई को देखकर खुद से
डर जाता हूं मैं
याद तेरी, साथ तेरा सब
भूला देता हूं मैं
बेवफाई और तन्हाई को बुला
लेता हूं मैं
हर तरफ बिखरी हैं यादें, क्यों
तेरी ये आजकल
अब अचानक राह चलते ही ठहर
जाता हूँ मैं
संग तेरे बैठने को दिल
मचलता है मेरा
नाम लेते ही तेरा,
खुशियों से भर जाता हूं मैं
याद जब आती है तेरी आंखें
भर आती मेरी
फिर बिछुड़ने के कहर से
ही सिहर जाता हूँ मैं
जिंदगी की राह अब तो रेत
का दरिया लगे
जिस डगर तू ले चली है उस
डगर जाता हूँ मैं
ज़िंदगी और मौत के बीच
वक्त है का फासला
इसलिए तो रब के दर पे हर पहर
जाता हूँ मैं
मुश्किलें मंजिल है मेरी,
तन्हाई मेरा हमसफर
इस कदर ना तोड़ मुझको,
खुद ही बिखर जाता हूं मैं
जिंदगी में ख्वाहिशों की वीरानगी
सी छाई है
तू ही है उम्मीद मेरी,
संग तेरे जाता हूं मैं
जिस्म क्या है, रूह भी
तेरे नाम कर दूं हमसफर
अपने सारे ख्वाब तुझको
सौंपकर जाता हूं मैं
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