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गुरुवार, 27 मार्च 2014

पूर्वोत्तर परिषद की विकास यात्रा

पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के विकास में तेजी लाने के लिए पूर्वोत्‍तर परिषद अधिनियम, 1971 के जरिए एक सलाहकार संस्‍था के रूप में पूर्वोत्‍तर परिषद का गठन किया गया था। पूर्वोत्‍तर परिषद संशोधन अधिनियम, 2002 के अनुसार पूर्वोत्‍तर परिषद को एक क्षेत्रीय आयोजना संस्‍था के रूप में कार्य करने का अधिकार दिया गया। पूर्वोत्‍तर परिषद, पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करती है। परिषद को पर्याप्‍त प्रशासनिक और वित्‍तीय स्‍वायत्‍ता प्रदान की गई है। योजना आयोग द्वारा स्‍वीकृत कुल बजट आबंटन में से परिषद की वार्षिक योजना तैयार की जाती है, जिसका अनुमोदन स्‍वयं परिषद करती है। पूर्वोत्‍तर परिषद के सचिव के पास 15 करोड़ रुपए तक की परियोजनाओं को स्‍वीकृति प्रदान करने का अधिकार है। 15 करोड़ रुपए से अधिक लागत की परियोजनाओं का मूल्‍यांकन और अनुमोदन भारत सरकार के वित्‍तीय नियमों के अनुसार किया जाता है। पूर्वोत्‍तर परिषद, पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के नियोजन तथा आर्थिक और सामाजिक विकास के अपने उद्देश्‍यों को प्राप्‍त करने में सफल रही है। परिषद की प्रमुख उपलब्‍धियों में विभिन्‍न क्षेत्रीय संगठनों की स्‍थापना भी शामिल है, जैसे पूर्वोत्‍तर विद्युत शक्‍ति निगम, पूर्वोत्‍तर पुलिस अकादमी, क्षेत्रीय अर्ध-चिकित्‍सीय और नर्सिंग संस्‍थान, पूर्वोत्‍तर क्षेत्रीय भूमि एवं जल प्रबंध संस्‍थान आदि। अन्‍य उपलब्‍धियों में सड़क निर्माण (9800 कि.मी.), ब्रह्मपुत्र नदी पर तेजपुर सड़क पुल सहित 77 पुलों का निर्माण, 9 अंतरर्राज्‍यीय बस अड्डे, 4 अंतरर्राज्‍यीय ट्रक टर्मिनस; एलांइस एयर के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्त पोषण और विमान सेवा कनेक्‍टिविटी में सुधार के लिए हवाई अड्डा प्राधिकरण के माध्‍यम से 10 हवाई अड्डा विकास परियोजनाओं के लिए वित्‍त-पोषण; 694.50 मेगावॉट क्षमता की पन बिजली परियोजना की स्‍थापना, 64.5 मेगावॉट ताप बिजली उत्‍पादन(जो पूर्वोत्‍तर क्षेत्र की वर्तमान स्‍थापित क्षमता के 30 प्रतिशत के बराबर है।) ; 57 बिजली प्रणाली सुधार योजनाएं; मेघालय, असम और मणिपुर के 2-2 जिलों में पूर्वोत्‍तर क्षेत्र समुदाय संसाधन प्रबंधन परियोजना, चरण-1 और चरण-2 लागू, अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों और मणिपुर के बाकी के दो जिलों के लिए पूर्वोत्‍तर क्षेत्र समुदाय संसाधन प्रबंधन परियोजना, चरण-3 परियोजना की शुरूआत इत्यादि है। पूर्वोत्‍तर परिषद का, पूर्वोत्‍तर परिषद संशोधन अधिनियम, 2002 के अनुसार 26 जून, 2003 से पुनर्गठन किया गया है। इस संशोधन के अंतर्गत पूर्वोत्‍तर परिषद को क्षेत्रीय आयोजना संस्‍था के रूप में कार्य करने का अधिकार दिया गया है और सिक्‍किम को आठवें राज्‍य के रूप में परिषद में शामिल किया गया है। इस संशोधन में व्‍यवस्‍था है कि पूर्वोत्‍तर परिषद, सिक्‍किम को छोड़कर दो या अधिक राज्‍यों के लाभ के लिए योजनाओं/परियोजनाओं को प्राथमिकता दे सकती है। इस परिषद के सदस्‍यों में पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के राज्‍यपाल और मुख्‍यमंत्री तथा भारत के राष्‍ट्रपति द्वारा मनोनीत तीन सदस्‍य शामिल हैं। पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के मंत्री मार्च, 2005 से इस परिषद के पदेन अध्‍यक्ष बनाए गए हैं।

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