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रविवार, 2 मार्च 2014
लोकतंत्र में मतदाता जागरुकता अभियान का महत्व
“हम, भारत के नागरिक, लोकतंत्र में अक्षुष्ण आस्था रखते हुए शपथ लेते हैं कि हम अपने देश की लोकतांत्रिक परम्पराओं तथा स्वतंत्र, निष्पक्ष तथा शान्तिपूर्ण चुनाव की गरिमा बनाये रखेंगे तथा प्रत्येक चुनाव में निर्भयता तथा धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय, भाषा या किसी प्रलोभन से प्रभावित हुए बिना मतदान करेंगे।”
यह शपथ है, जिसे पिछले तीन वर्षों के दौरान नये योग्य मतदाताओं में लोकप्रियता मिली है। इस शपथ ने चुनावों के प्रति युवा भारत की सोच बदल दी है। इसके लिए भारत निर्वाचन आयोग की चरणबद्ध मतदाता शिक्षा तथा निर्वाचक भागीदारी (एसवीईईपी) की पहल धन्यवाद की पात्र है। निर्वाचन आयोग की महत्वपूर्ण पहल के रूप में एसवीईईपी ने मतदान में मतदाताओं की भागीदारी में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए चुनाव प्रक्रिया के प्रत्येक पक्ष को जीवंत किया है। पिछले तीन वर्षों के दौरान मतदाता पंजीकरण, विशेषकर युवाओं में, 10-15 प्रतिशत से बढ़कर 30-35 प्रतिशत हो गया है और 2010 के बाद हुए लगभग सभी राज्य विधानसभा चुनावों में बड़ी संख्या में मतदाता वोट डालने आये। इनमें युवाओं और महिलाओं की भागीदारी अधिक रही।
निर्वाचन प्रबंध प्रक्रिया के केन्द्र में मतदाता पंजीकरण तथा निर्वाचक शिक्षा हैं, लेकिन गुणवत्ता तथा मात्रा की दृष्टि से भारत में मतदाता भागीदारी आदर्श भागीदारी वाले लोकतंत्र से अभी भी दूर है। पंजीकरण, मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी)/पहचान प्रमाण, मतदान केन्द्र स्थान, ईवीएम उपयोग, चुनाव समय, आदर्श आचार संहिता में क्या करें/क्या न करें, उम्मीदवारों या उनके सहयोगियों द्वारा मतदाताओं के कमजोर वर्ग को प्रभावित करने के लिए धन/बाहुबल तथा शराब का उपयोग जैसे विषयों में मतदाता को क्या जानना चाहिए और वह वास्तविक रूप से क्या जानता है इसमें फर्क है। यह देखा गया है कि मतदाता जागरूकता अभियान हमेशा मतदाताओं को वास्तविक मत देने वाले के रूप में नहीं बदलता। मतदाता जागरूकता में वृद्धि के उद्देश्य को प्राप्त करने, वोट डालने वाले मतदाताओं की संख्य़ा बढाने के लिए निर्वाचन आयोग ने प्रणालीबद्ध मतदाता शिक्षा तथा निर्वाचक भागीदारी (एसवीईईपी) कार्यक्रम शुरू किया है ताकि मतदाता को सूचित, शिक्षित, प्रेरित किया जाए और उनकी मदद की जा सके और भारतीय लोकतंत्र को अधिक भागीदारी वाला तथा सार्थक बनाया जा सके।
प्रारंभ
भारत निर्वाचन आयोग ने 2010 में अपने हीरक जयंती समारोह में कम निर्वाचक जागृति तथा मतदाताओं के कम बाहर निकलने के विषय की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए “मजबूत लोकतंत्र के लिए विशाल भागीदारी” को अपना थीम बनाया था। इसी वर्ष देश का मतदाता भागीदारी संबंधी सबसे बड़ा कार्यक्रम-एसवीईईपी, बिहार विधानसभा चुनावों में प्रारंभ हुआ। सरल शब्दों में एसवीईईपी नीति संबंधी पहल तथा गतिविधियों की श्रृंखला है, जिनका उद्देश्य निर्वाचन प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी बढ़ाना है। यह तब से सूचना में अंतर, प्रेरणा तथा मदद की कमियों को दूर करने तथा कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में मतदाताओं की संख्या बढ़ाने से जुटा है। 2009 के अंत में झारखंड के चुनावों में आईईसी (सूचना, शिक्षा तथा संचार) का उपयोग हुआ था और इसके बाद 2010 में बिहार विधानसभा चुनावों में चरणबद्ध मतदाता, शिक्षा तथा निर्वाचक भागीदारी (एसवीईईपी) कार्यक्रम आगे बढ़ाया गया और 2011 में तमिलनाडु, केरल, असम, पश्चिम बंगाल, संघ शासित प्रदेश पुड्डुचेरी के विधानसभा चुनाव में भी यह कार्यक्रम जारी रहा। यह पांच राज्यों-उत्तर प्रदेश, गोवा, पंजाब, उत्तराखण्ड तथा मणिपुर में जारी रहा तथा फिर हिमाचल प्रदेश के दो आम चुनाव में तथा 2012 में गुजरात में और 2013 में पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा, मेघालय तथा नगालैण्ड में जारी रहा।
अड़चनों का प्रकटीकरण
एसवीईईपी के हिस्से के रूप में मतदाता व्यवहार सर्वेक्षण कराये गये। इन सर्वेक्षणों में पंजीकरण में कमी, ईपीआईसी की दूसरी प्रति प्राप्त करने में समस्याएं, मतदाता सूची में नाम सुधारने तथा सूचना संबंधी विभिन्न कमियों तथा वोट देने के लिए कम संख्या में मतदाताओं के निकलने संबंधी निहित कारण सामने आये। सर्वेक्षणों ने कम निर्वाचक भागीदारी वाले निर्वाचक वर्गों का जन सांख्यिकी नक्शा तैयार करने की कोशिश की।
लक्षित प्रयास
मतदाता को निम्न बातों के बारे में जानना चाहिएः
· मतदाता पंजीकरण
· ईपीआईसी/पहचान प्रमाण
· मतदान केन्द्र स्थल
· ईवीएम उपयोग
· मतदान का समय
· आदर्श आचार संहिता के संबंध में क्या करें तथा क्या न करें
· उम्मीदवार या उनके सहयोगियों द्वारा मतदाता को प्रभावित करने के लिए धन, बाहुबल तथा शराब का इस्तेमाल
शिकायत कैसे दर्ज करें
यह देखा गया की मतदान न करने वालों में एक बड़ा हिस्सा युवाओं और महिलाओं का है। मतदाताओं के सभी वर्गों की भागीदारी बढ़ाने के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने सूचना तथा प्रेरणा में अंतर को पाटने का निर्णय लिया तथा साथ-साथ मतदाता सूची में नाम दर्ज करने की प्रक्रिया आसान और सहज बनाने तथा मतदान के अनुभव को मतदाताओं के अनुरूप बनाने का काम किया। भारत निर्वाचन आयोग सृजनात्मक रूप से लोगों को निर्वाचन प्रक्रिया में शामिल होने के लिए उत्साहित करने में जुटा है।
क्रियान्वयन
चरणबद्ध मतदाता शिक्षा तथा निर्वाचक भागीदारी इकाई वोट देने वाली जनता, सिविल सोसाइटी समूहों तथा मीडिया से निरंतर संवाद करने के अतिरिक्त नीति और ढ़ांचा तय करती है, नीतिगत प्रयास करती है और क्रियान्वयन पर निगरानी रखती है। निर्वाचन प्रक्रिया में लोगों को शामिल करने के लिए एसवीईईपी में सूचना, प्रेरणा तथा सहायता (आईएमएफ) जैसे अनेक कदम होते हैं, जिनसे प्रयास किया जाता है। इन कदमों में स्थिति विश्लेषण, व्यवस्थित नियोजन तथा लक्षित प्रयास को लागू करना है। ये स्थिति विश्लेषण, कार्यक्रम की मध्यावधि समीक्षा तथा निगरानी और अंतिम समीक्षा पर आधारित होते हैं। संचार संबंधी पहलों में मल्टी मीडिया तथा अंतर व्यक्तिक संचार, वास्तविक कार्यक्रम तथा लोगों/समुदाय को एकत्रित करने के लिए नई-नई गतिविधियों तथा मतदाता सहायता जैसे कदम शामिल हैं। लोगों में व्यावहारिक परिवर्तन लाने की जटिलताओं को महसूस करते हुए भारत निर्वाचन आयोग ने पूरी एसवीईईपी प्रक्रिया में सामाजिक सोच तथा सहयोगपूर्ण दृष्टिकोण पर जोर दिया।
राज्य तथा जिला स्तर पर एसवीईईपी योजनाओं का निरूपण
भारत निर्वाचन आयोग ने राज्यस्तर पर कुछ आंतरिक संगठनात्मक परिवर्तनों की शुरूआत की तथा एसवीईईपी की सभी गतिविधियों को लागू करने में समन्वय के लिए राज्य तथा जिलास्तर पर कोर समूहों का गठन किया। पूरे वर्ष के लिए राज्यस्तर की योजनाएं तथा जिलास्तर की योजनाएं बनानी होती हैं और चुनाव अवधि के लिए गंभीर उप-योजनाएं बनती हैं। योजनाएं आयोग द्वारा निर्धारित राष्ट्रीय ढांचे के अनुरूप होती हैं लेकिन प्रत्येक स्तर पर उचित लचीलेपन की अनुमति दी जाती है।
सहयोग
निर्वाचन आयोग ने 18-19 वर्ष के आयु वर्ग में नये मतदाताओं को जोड़ने के लिए शैक्षिक संस्थानों यथा एनवाईकेएस, एनएसएस, एनसीसी जैसे युवा संगठनों के साथ सहयोग किया। आयोग ने निर्वाचन प्रक्रिया के बारे में युवाओं तथा विद्यार्थियों के बीच और अधिक जागरूकता बढ़ाने तथा मतदाता पंजीकरण में उनसे सहायता मांगी। आयोग ने स्वास्थ्य, शिक्षा, डब्ल्यूसीडी, सहकारिता, कल्याण आदि जैसे केन्द्र तथा राज्य सरकारों के विभागों के साथ सहयोग किया, ताकि यह विभाग निर्वाचक शिक्षा तथा निर्वाचक तक पहुंच के लिए अपनी अवसंरचना तथा मानव शक्ति (फील्ड कर्मी) दे सकें। निर्वाचक भागीदारी के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ाने में सरकार तथा निजी मीडिया के साथ-साथ सिविल सोसाइटी तथा मान्य गैर-सरकारी संगठनों के साथ सहयोग करने से मतदाता जागरूकता में मदद मिली।
2013 में भारत निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण (एनएलएमए) के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षऱ किए। इसके बाद से निर्वाचक साक्षरता भारत सरकार के साक्षऱ भारत कार्यक्रम का प्रमुख अंग बन गयी। भारत निर्वाचन आयोग तथा यूएनडीपी के बीच मतदाता शिक्षा के क्षेत्र में करार हुआ। 2013 दिसम्बर से कैंपस एमबस्डर बनाये गये जो कैंपस में विद्यार्थी होता है और आयोग के दूत के रूप में काम करता है तथा शैक्षिक परिसरों में एसवीईईपी कार्यक्रमों में सहायता देता है। आज भारत निर्वाचन आयोग के एसवीईईपी कार्यक्रम को समर्थन देने के लिए निजी मीडिया घराने तथा कॉरपोरेट आगे आ रहे हैं।
एसवीईईपी रणनीति के हिस्से के रूप में सहायता
एसवीईईपी के तहत पंजीकरण, मतदाता पहचान-पत्र जारी करने तथा चुनाव प्रक्रिया को मतदाता के लिए सुविधाजनक बनाने के तौर-तरीके सुझाने जैसे क्षेत्रों में मतदाताओं को सहायता देने के नये कदम उठाये गए हैं। इन प्रयासों में सभी जिलों में मतदाता हेल्पलाइन, मतदाता सूची में इंटरनेट तथा एसएमएस के जरिये नाम खोजने, मतदाता सहायता बूथ, आदर्श चुनाव केन्द्र ईवीएम से परिचित कराने संबंधी शिविरों, मतदाता पर्ची तथा पहचान-पत्र का दायरा बढ़ाने यानी ईपीआईसी के अलावा अन्य प्रमाणों को मतदान के लिए वैध बनाने जैसे कदम शामिल हैं।
राष्ट्रीय मतदाता दिवस
भारत निर्वाचन आयोग ने लोगों तक पहुंचने के उद्देश्य से 2011 में अपना स्थापना दिवस 25 जनवरी, को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाने की प्रथा शुरू की। इसे एसवीईईपी के विभिन्न प्रयासों में महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को पूर्ण वास्तविक रूप देने के लिए मतदाताओं की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है। युवा पीढ़ी को जिम्मेदार नागरिक का भाव देने तथा उन्हें मताधिकार के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से भारत निर्वाचन आयोग राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाने के रूप में आठ लाख से अधिक मतदान केन्द्रों में नये योग्य पंजीकृत मतदाताओं की सहायता करता है। उन्हें फोटो युक्त पहचान-पत्र तथा “गौरवान्वित मतदाता-मतदान को तैयार” नारा लिखा बैच दिया जाता है। नये पंजीकृत मतदाता चुनाव में भाग लेकर लोकतंत्र को मजबूत बनाने की शपथ भी लेते हैं। 2011 से पूरे देश में उत्साह के साथ राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है और लोगों तक पहुंचने के लिए गोष्ठियां, साइकिल रैली, मानव श्रृंखला, लोककला कार्यक्रम, मिनी मैराथन, स्पर्धा तथा जागरूकता संबंधी गोष्ठियां आयोजित की जाती हैं।
अन्य कदम
भारत निर्वाचन आयोग ने जनता के साथ विश्वसनीय सम्पर्क स्थापित करने के लिए लोकप्रिय छवि के लोगों की क्षमता की पहचान की और जागरूकता कार्यक्रमों को तेजी देने, तथा मतदाताओं को प्रेरित करने के लिए राष्ट्रीय तथा राज्यस्तर पर लोकप्रिय छवि वाले प्रतिष्ठित व्यक्तियों की नियुक्ति की। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे.अब्दुल कलाम, एमएस धोनी, साइना नेहवाल तथा एमसी मेरीकॉम राष्ट्रीय प्रतिष्ठित व्यक्तित्व हैं। इनके अतिरिक्त राज्यों में ऐसे व्यक्तित्व हैं जो एसवीईईपी के प्रयासों में शामिल हैं।
मीडिया तथा गैर मीडिया इकाइयां, लोक सांस्कृतिक समूहों, केबल नेटवर्क, मैराथन, रैलियां, मानव श्रृंखलाएं, प्रदर्शनी, होर्डिंग्स, पोस्टर, पर्चे, सिनेमा स्लाइड, नुक्कड़ नाटक तथा मैजिक शो का उपयोग किया जाता है। भारत निर्वाचन आयोग को अनेक सरकारी तथा गैर-सरकारी संगठन, सिविल सोसायटी तथा मीडिया निर्वाचक प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी बढ़ाने के लिए समर्थन दे रहे हैं। कुछ राज्यों में आयोग ने लोगों तक संदेश ले जाने के लिए स्वयं सेवियों के दस्ते को प्रशिक्षत किया है।
सूचना आपकी उंगलियों पर
आधुनिक टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा योगदान लोगों की जिंदगी तक इंटरनेट की पहुंच है। भारत निर्वाचन आयोग ने बदलते समय के साथ रहने के लिए अपनी वेबसाइट को नया रूप दिया, ताकि बिना किसी बाधा के नागरिकों को सभी तरह की सूचना और सेवाएं दी जा सकें। जिला तथा राज्य स्तर पर मतदाताओं की जागरूकता बढ़ाने तथा मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग किया जा रहा है। अधिकतर राज्यों के मुख्य निर्वाचन कार्यालयों के अपने फेस बुक पेज हैं, ताकि टेक्नोलॉजी प्रेमी युवा मतदाताओं तक पहुंचा जा सके। मतदाता का ऑन लाइन पंजीकरण भारत में एकमात्र प्रणाली है, जहां कोई व्यक्ति फोटो युक्त मतदाता पहचान-पत्र सरकारी कार्यालय गए बिना पा सकता है। वेबसाइट पर ऑन लाइन जनसांख्यिक ब्यौरा बदलने तथा आवेदन की निगरानी जैसी सुविधाएं भी प्राप्त हैं। ऑन लाइन प्रणाली की सफलता विभिन्न राज्यों से मिले आंकड़े दिखा रहे हैं। केरल में लगभग 40 प्रतिशत नये मतदाता तथा दिल्ली, आंध्र प्रदेश तथा कर्नाटक में 30 प्रतिशत मतदाताओं ने इस प्रणाली के जरिए फोटो युक्त मतदाता पहचान-पत्र प्राप्त किये।
एसवीईईपी- एक नजर में
· मतदाता व्यवहार सर्वेक्षण
· राज्य तथा जिला स्तर पर एसबीईईपी योजनाओं का निरूपण
· राज्य स्तर के लिए कर्मी
· राज्य तथा जिला स्तर पर कोर समूह
· सरकारी विभागों के साथ सहयोग
· सीएसओ, मीडिया तथा संगठनों से सहयोग
· राष्ट्रीय मतदाता दिवस
राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर पर प्रतिष्ठित लोगों की पहचान
भविष्य का मार्ग किसी भी मतदाता शिक्षा कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को उपयुक्त सूचना उपलब्ध कराना है। यदि अभियान में सार्वभौमिक रूप से मतदाताओं को कवर किया जाता है, तो यह लोकतंत्र के लिए बड़ी सफलता होगी। एसवीईईपी के बैनर तले मैराथन, रैलियां, जुलूसों, क्विज प्रतियोगिताएं, फिल्म प्रदर्शन, नुक्कड़ नाटक, एसएमएस तथा हेल्प लाइनों के माध्यम से पहुंच के प्रयास किये जाते हैं, ताकि मतदान को प्रोत्साहित किया जाए। युवाओं के अलगाव, शहरी उदासीनता तथा मतदान के बारे में धीमी गति से नैतिक प्रचार जैसी खाइयों को एनआरआई पंजीकरण, मतदाताओं की कम भागीदारी के लिए सेवा जैसी एसवीईईपी की गतिविधियों से पाटा जा रहा है। भारत निर्वाचन आयोग व्यक्ति की मत की शक्ति तथा उसकी अधिकारिता के बीच गहरे आपसी संबंध को जानने के लिए लगातार कार्यक्रम बना रहा है।
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