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शनिवार, 19 अप्रैल 2014

पारिवारिक रिश्ता और सियासी घमासान

राजनीति में सियासी रिश्ते और सियासत में पारिवारिक रिश्ते दोनों को लेकर अक्सर विवाद होते हैं। कभी वरुण गांधी कांग्रेस उपाध्यक्ष के काम की तारीफ करते हैं तो मेनका गांधी उसे वरुण की तरफ से जल्दबाजी में दिया गया बयान करार देती है। कुछ दिनों के भीतर ही इसी मुद्दे को आगे बढ़ाते हुए प्रियंका गांधी वरुण गांधी को भटका हुआ करार देते हुए इलाके की जनता से उन्हें सही रास्ते पर लाने की अपील करती है। फिर सियासत में नफा नुकसान को देखते हुए मेनका गांधी बीच में कूद पड़ती है और कहती है कि कौन भटका हुआ है, इसका फैसला चुनाव नतीजों के आने के बाद हो जाएगा। लेकिन सियासत में रिश्तों को लेकर मचे राजनीतिक घमासान के सिलसिले का यहीं अंत नहीं होता है। इसके बाद फिर वरुण गांधी की बारी आती है। इस बार वह कुछ ज्यादा ही आक्रामक अंदाज में पेश आते हैं। पारिवारिक रिश्तेदारों से राजनीति के मैदान में कैसे मुकाबला किया जाए, इस मुद्दे को लेकर वरुण दो टूक शब्दों में बात करने में यकीन रखते हैं। वरुण ने सही मौका देखकर विरोधियों को राजनीति में शिष्टाचार और संस्कार का जमकर पाठ पढाया। उन्होंने कहा कि दूसरों की आलोचना वह करते हैं, जो काम नहीं करते हैं। काम करने वालों के पास इतना वक्त कहां होता है कि वह दूसरों की निंदा कर सकें। उन्होंने कहा कि वह राजनीति में सभी का आदर और सम्मान करते हैं। विरोधियों से काम के आधार पर मुकाबला करते हैं। सियासत में निजी और व्यक्तिगत तौर पर किसी के खिलाफ बयानबाजी नहीं करते हैं। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने विरोधियों को जनता की सेवा करने की नसीहत भी दे डाली। उन्होंने कहा कि राजनीति का मतलब दूसरों को नीचा दिखाना नहीं होता है। राजनीति में बयानबाजी करते समय हद की सीमा को कभी पार नहीं करना चाहिए। वरुण के मुताबिक वह हमेशा राजनीति में लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखते हैं। कुछ दिनों पहले ही सियासतदान यह मानने लगे थे कि सियासत के मैदान में गांधी परिवार के दो धुरंधर वरुण और राहुल गांधी के बीच रिश्तों में जमी बर्फ भले ही पिघलने लगी है। लेकिन वरुण गांधी की मां मेनका गांधी ने अपने बयानों के जरिए साफ कर दिया कि उन्होंने दोनों भाइयों के बीच बढ़ते प्रेम पर अपने आशीर्वाद की मुहर नहीं लगायी है। मेनका की नज़र में राहुल, प्रियंका या सोनिया सिर्फ सियासी प्रतिद्वंदी है। मेनका ने कुछ दिनों पहले ही सोनिया पर एक विदेशी मीडिया का हवाला देते हुए निजी हमला बोला था। मेनका गांधी ने कहा था कि दहेज में तो कुछ लाई नहीं फिर इतनी दौलत कहां से लाई। एक तरफ वरुण सियासत में लक्ष्मण रेखा की बात करते हैं। दूसरी तरफ मेनका गांधी के आरोप। इसे आप क्या कहेंगे। मेनका गांधी खुलेआम सोनिया गांधी पर आरोप लगाने से बाज नहीं आती। जहां तक पारिवारिक रिश्ते का सवाल है तो मेनका गांधी ने वरुण गांधी की शादी में सोनिया, राहुल और प्रियंका को भी आने का न्यौता भेजा था। लेकिन बुलावा भेजने के बाद भी राहुल,सोनिया या प्रियंका ने वहां जाना गंवारा नहीं समझा। लिहाजा सियासी दुश्मनी और पारिवारिक रिश्तों में दूरी की कहानी काफी पुरानी है। चुनाव के इस मौसम में वरुण के सामने ऐसी कौन सी मजबूरी है कि वह पार्टी के रुख से हटकर पहले राहुल की तारीफ करते हैं। फिर प्रियंका गांधी पर सियासी वार करते हैं।

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