फ़ॉलोअर
मंगलवार, 1 अप्रैल 2014
लोकसभा चुनाव किसी चुनौती से कम नहीं
विश्व के सबसे बड़े गणतंत्र में मतदान प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए क्या कुछ आवश्यक है? वास्तव में यह एक बेहद कठिन काम है। वर्ष 2009 का आम चुनाव इस बात का सरल प्रमाण है। इस विशाल एवं जटिल गणतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेकर, देश के सुदूर प्रांतों में कभी बर्फीले पहाड़ों तक पहुंचकर, कभी तपती धूप में मरुभूमि के क्षेत्रों को पार करते हुए तो कभी नदी-नालों को पार करते हुए, पूरी जिम्मेवारी के साथ जो लोग इस प्रक्रिया में शामिल हुए- उन्हीं के योगदान के फलस्वरूप गणतंत्र का दीप प्रज्वलित है।
आम चुनाव 2009 के दौरान आंध्र प्रदेश में अपने आबंटित मतदान केद्रों तक ईवीएम के साथ जाते हुए मतदानकर्मी
लोकसभा चुनाव 2009 पांच चरणों में पूरा हुआ था। पहले चरण का मतदान 16 अप्रैल, 2009 और पांचवें चरण का मतदान 13 मई, 2009 को हुआ। इस प्रक्रिया की विशालता इस बात से स्पष्ट होती है कि आम चुनाव, 2009 में 71,377 करोड़ मतदाताओं ने 8,34,944 मतदान केन्द्रों में 9,08,643 नियंत्रण इकाईयों तथा 11,83,543 ईवीएम के माध्यम से अपने मत जाहिर किए। ताकि मतदान की यह प्रक्रिया शांतिपूर्ण, पारदर्शी तथा बिना किसी अड़चन के संपूर्ण हो, 4.7 मिलियन मतदान अधिकारी, 1.2 मिलियन सुरक्षाकर्मी तथा 2046 पर्यवेक्षक तैनात किए गए थे। सुरक्षा कर्मियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए 119 विशेष रेलगाड़ियों की व्यवस्था की गई। साथ ही, 55 हेलीकॉप्टर भी इस प्रक्रिया में शामिल किए गए। गणना के लिए 16 मई, 2009 को 1080 केन्द्रों जहां लगभग 60,000 कर्मचारियों को तैनात किया गया था।
भारत निर्वाचन आयोग ने एक भी मतदाता को मतदान देने से वंचित नहीं किया। गुजरात के गिर वन के गुरु भारतदासजी के मतदान को सुनिश्चित करने के लिए वहां एक मतदान केन्द्र खोला गया और तीन मतदान अधिकारियों को तैनात किया गया।
छत्तीसगढ़ में घने जंगलों से घिरे, पहाड़ी क्षेत्र में स्थित कोरिया जिले के शेरेडन्ड गांव में दो मतदाताओं के लिए चुनाव आयोग ने विशेष व्यवस्था की थी। इन दो मतदाताओं के लिए एक मतदाता केन्द्र की स्थापना की गई और चार चुनाव अधिकारियों को तीन सुरक्षा कर्मियों के साथ वहां तैनात किया गया।
अरुणाचल प्रदेश में चार ऐसे चुनाव केन्द्र हैं जहां केवल तीन मतदाता प्रति केन्द्र हैं। वहां पहुंचने के लिए मतदान अधिकारियों के दल को हेलीकॉप्टर से उतरकर या निकटतम रास्ते से तीन-चार दिनों तक पैदल जाना पड़ा। अरुणाचल प्रदेश में 690 मतदान दलों को हेलीकॉप्टर द्वारा सुदूर गांवों तक पहुंचाया गया। इनमें से कई गांव म्यांमार तथा चीन सीमा के पास स्थित हैं।
हिमाचल प्रदेश के कई भागों में प्रत्येक वोट को शामिल करने के लिए मतदान अधिकारियों के दलों को ठंडी, बर्फीली हवाओं मे से होते हुए घंटो पैदल चलना पड़ता है। 15000 फीट की ऊँचाई पर स्थित लाहौल-स्पीति के जनजातीय जिले में हिक्कम नामक जगह पर स्थित मतदान-केंद्र 321 मतदाताओं के लिए स्थापित किया गया जो कि देश का सबसे ऊंचा मतदान-केंद्र है। इस जिले के एक-तिहाई से अधिक मतदान-केंद्र 13,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है- मतदान अधिकारियों के लिए यह एक बड़ी चुनौती थी। सुदूर पहाड़ों पर स्थित होने के कारण 36 मतदान केंद्रों को अति संवेदनशील तथा 23 केंद्रों को संवेदनशील घोषित किया गया था। पश्चिम बंगाल के दार्जीलिंग ज़िले में मतदान-अधिकारियों को 12 किलोमीटर तक की चढ़ाई चढ़कर श्रीखोला मतदान केंद्र तक पहुँचना पड़ा।
बाड़मेड़ निर्वाचन क्षेत्र 71,601 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ हैं। मरुभूमि के क्षेत्र में फैले होने के कारण छ: चलायमान केंद्र शुरू किए गए ताकि मेनाऊ, जेसिलिया, नेहदाई, तोबा, कायमकिक, धाणी तथा रबलऊओ फकीरोवाला गॉंव के 2324 मतदाता अपना मतदान कर सकें। इस प्रयास से मतदाताओं को मतदान के लिए लम्बी दूरी तक पैदल नहीं जाना पड़ा।
सुन्दरवन के झाड़िदार वनों में मतदान-दल नावों की सहायता से पानी के रास्ते मतदाताओं तक अपना सामान लेकर पहुँचे। 700 किलोमीटर लम्बाई वाले अन्डमान तथा निकोबार द्वीप समूहों में मतदान का आयोजन एक चुनौती भरी प्रक्रिया थी। कई जगहों पर मतदान-अधिकारियों को 35-40 घण्टों तक नावों पर जाकर पहुँचना पड़ा। लक्षद्वीप के 105 मतदान केंद्रों तक केवल नावों के माध्यम से ही पहुँचा जा सका। मिनीकॉप द्वीप पर हेलीकॉप्टर के माध्यम से ही ईवीएम पहुँचाए गए।
असम के सोनितपुर जिले में दो बैलगाड़ियॉं तैनात थी क्योंकि वहॉं के रास्ते बहुत अच्छे नहीं हैं। राज्य के कई भागों में मतदान-सम्बन्धी उपकरण तथा अधिकारियों के आने जाने के लिए पालतू हाथी उपयोगी साबित हुए। बोक्काइजान ज़िले में जंगली हाथियों के उपद्रव के कारण पॉंच मतदान केंद्रों तक सामान पहुँचाने के लिए पोर्टर नियुक्त किए गए क्योंकि वहां 40 किलोमीटर तक की दूरी पैदल ही तय करना पड़ता है।
भौगोलिक चुनौतियों के साथ-साथ 79 चुनावी क्षेत्रों में नक्सलवादियों का दबदबा था। साथ ही, देश के ऊत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में अलगाववादी तत्वों ने धमकी दे रखी थी। चुनाव आयोग ने विस्तृत योजनाए बनाई और उनका कार्यान्वयन किया। इतनी सारी चुनौतियों के बावजूद 58 प्रतिशत से अधिक लोगों ने मतदान किया और साबित किया कि गणतांत्रिक भावनाएं अभी हमारे देश में मजबूत हैं।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Seeing our scholar defending his PhD thesis during ODC was a great moment. This was the result of his hard work. Dr. Sanjay Singh, a senior...
-
छपाई एक कलाकृति है। यह प्रारंभिक चित्र के समान प्रकार में लगभग विविधता की अनुमति देती है। भारत में छपाई का इतिहास 1556 से शुरू होता है। इस य...
-
दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में महिलाओं की सामाजिक , आर्थिक और सांस्कृतिक आजादी को सुनिश्चित करने की दिशा में पुरजोर तरीके से ठोस ...
-
राष्ट्रीय परिवहन विकास नीति पर गठित राकेश मोहन समिति की रिपोर्ट की कुछ मुख्य बातें और सिफारिशें इस प्रकार हैं:- राष्ट्रीय परिवहन विक...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें